यहोवा परमेश्वर ने पुरुष से पूछा, “तुम्हें किसने बताया कि तुम नंगे हो? तुम किस कारण से शरमाए? क्या तुमने उस विशेष पेड़ का फल खाया जिसे मैंने तुम्हें न खाने की आज्ञा दी थी?”
उत्पत्ति 3:17 - पवित्र बाइबल तब यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य से कहा, “मैंने आज्ञा दी थी कि तुम विशेष पेड़ का फल न खाना। किन्तु तुमने अपनी पत्नी की बातें सुनीं और तुमने उस पेड़ का फल खाया। इसलिए मैं तुम्हारे कारण इस भूमि को शाप देता हूँ अपने जीवन के पूरे काल तक उस भोजन के लिए जो धरती देती है। तुम्हें कठिन मेहनत करनी पड़ेगी। Hindi Holy Bible और आदम से उसने कहा, तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैं ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है, इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है: तू उसकी उपज जीवन भर दु:ख के साथ खाया करेगा: पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य से कहा, ‘तूने अपनी पत्नी की बात सुनी, और उस पेड़ का फल खाया जिसके विषय में मैंने आज्ञा दी थी कि “उसका फल न खाना।” अतएव तेरे कारण भूमि शापित हुई। उसकी फसल खाने के लिए तुझे जीवनभर कठोर परिश्रम करना पड़ेगा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और आदम से उसने कहा, “तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैं ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना, उसको तू ने खाया है इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है। तू उसकी उपज जीवन भर दु:ख के साथ खाया करेगा; नवीन हिंदी बाइबल फिर उसने आदम से कहा, “क्योंकि तूने अपनी पत्नी की बात सुनकर उस वृक्ष का फल खाया है जिसके विषय में मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना, इसलिए भूमि तेरे कारण शापित है। तू उसकी उपज जीवन भर कठिन परिश्रम के साथ खाया करेगा; सरल हिन्दी बाइबल फिर आदम से परमेश्वर ने कहा, “तुमने अपनी पत्नी की बात सुनकर उस पेड़ से फल खाया, ‘जिसे खाने के लिये मैंने तुम्हें मना किया था,’ “इस कारण यह पृथ्वी जिस पर तुम रह रहे हो, श्रापित हो गई है; तुम जीवन भर कड़ी मेहनत करके जीवन चलाओगे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और आदम से उसने कहा, “तूने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना, उसको तूने खाया है, इसलिए भूमि तेरे कारण श्रापित है। तू उसकी उपज जीवन भर दुःख के साथ खाया करेगा; (इब्रा. 6:8) |
यहोवा परमेश्वर ने पुरुष से पूछा, “तुम्हें किसने बताया कि तुम नंगे हो? तुम किस कारण से शरमाए? क्या तुमने उस विशेष पेड़ का फल खाया जिसे मैंने तुम्हें न खाने की आज्ञा दी थी?”
तुम उन पेड़ पौधों को खाओगे जो खेतों में उगते हैं। किन्तु भूमि तुम्हारे लिए काँटे और खर—पतवार पैदा करेगी।
स्त्री ने देखा कि पेड़ सुन्दर है। उसने देखा कि फल खाने के लिए अच्छा है और पेड़ उसे बुद्धिमान बनाएगा। तब स्त्री ने पेड़ से फल लिया और उसे खाया। उसका पति भी उसके साथ था इसलिए उसने कुछ फल उसे दिया और उसने उसे खाया।
लेमेक के पुत्र का नाम नूह रखा। लेमेक ने कहा, “हम किसान लोग बहुत कड़ी मेहनत करते हैं क्यैंकि परमेश्वर ने भूमि को शाप दे दिया है। किन्तु नूह हम लोगों को विश्राम देगा।”
यहोवा इन बलियों की सुगन्ध पाकर खुश हुआ। यहोवा ने मन—ही—मन कहा, “मैं फिर कभी मनुष्य के कारण पृथ्वी को शाप नहीं दूँगा। मानव छोटी आयु से ही बुरी बातें सोचने लगता है। इसलिए जैसा मैंने अभी किया है इस तरह मैं अब कभी भी सारे प्राणियों को सजा नहीं दूँगा।
किन्तु क्या प्राय: ऐसा होता है कि दुष्ट जन का प्रकाश बुझ जाया करता है? कितनी बार दुष्टों को दु:ख घेरा करते हैं? क्या परमेश्वर उनसे कुपित हुआ करता है, और उन्हें दण्ड देता है?
यदि सुबह उठ कर तुम देर रात गए तक काम करो। इसलिए कि तुम्हें बस खाने के लिए कमाना है, तो तुम व्यर्थ समय खोते हो। परमेश्वर अपने भक्तों का उनके सोते तक में ध्यान रखता है।
किन्तु मैंने जो कुछ किया था जब उस पर दृष्टि डाली और अपने किये कठिन परिश्रम के बारे में विचार किया तो मुझे लगा यह सब समय की बर्बादी थी! यह ऐसा ही था जैसा वायु को पकड़ना। इस जीवन में हम जो कुछ श्रम करते हैं उस सबकुछ का उचित परिणाम हमें नहीं मिलता।
इसके कारण मुझे जीवन से घृणा हो गई। इस विचार से मैं बहुत दुःखी हुआ कि इस जीवन में जो कुछ है सब व्यर्थ है। बिल्कुल वैसा ही जैसे वायु को पकड़ने की कोशिश करना।
उसे यदि कुछ मिलता है तो वह है दुःख और शोक से भरे हुए दिन। सो आखिरकार वह हताश, रोगी और चिड़चिड़ा हो जाता है!
राजा ने उससे कहा, ‘हे मित्र, विवाह के वस्त्र पहने बिना तू यहाँ भीतर कैसे आ गया?’ पर वह व्यक्ति चुप रहा।
“फिर वह उत्तर में उनसे कहेगा, ‘मैं तुमसे सच कह रहा हूँ जब कभी तुमने मेरे इन भोले भाले अनुयायियों में से किसी एक के लिए भी कुछ करने में लापरवाही बरती तो वह तुमने मेरे लिए ही कुछ करने में लापरवाही बरती।’
“स्वामी ने उससे कहा, ‘अरे दुष्ट सेवक, मैं तेरे अपने ही शब्दों के आधार पर तेरा न्याय करूँगा। तू तो जानता ही है कि में जो रखता नहीं हूँ, उसे भी ले लेने वाला और जो बोता नहीं हूँ, उसे भी काटने वाला एक कठोर व्यक्ति हूँ?
“मैंने ये बातें तुमसे इसलिये कहीं कि मेरे द्वारा तुम्हें शांति मिले। जगत में तुम्हें यातना मिली है किन्तु साहस रखो, मैंने जगत को जीत लिया है।”
अब हम यह जानते हैं कि व्यवस्था में जो कुछ कहा गया है, वह उन को सम्बोधित है जो व्यवस्था के अधीन हैं। ताकि हर मुँह को बन्द किया जा सके और सारा जगत परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।
किन्तु यदि वह धरती काँटे और घासफूस उपजाती है, तो वह बेकार की है। और उसे अभिषप्त होने का भय है। अन्त में उसे जला दिया जाएगा।