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अय्यूब 32:6 - पवित्र बाइबल

सो एलीहू ने अपनी बात कहना शुरु किया। वह बोला: “मैं छोटा हूँ और तुम लोग मुझसे बड़े हो, मैं इसलिये तुमको वह बताने में डरता था जो मैं सोचता हूँ।

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Hindi Holy Bible

तब बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू कहने लगा, कि मैं तो जवान हूँ, और तुम बहुत बूढ़े हो; इस कारण मैं रुका रहा, और अपना विचार तुम को बताने से डरता था।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

बूजी वंश के एलीहू बेन-बारकेल ने अय्‍यूब के मित्रों से यह कहा : ‘आप उम्र में मुझसे बड़े हैं, और मैं छोटा हूं। इसलिए मैं संकोच करता रहा, और आप लोगों पर अपना मत प्रकट करने से हिचकिचाता रहा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तब बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू कहने लगा, “मैं तो जवान हूँ, और तुम बहुत बूढ़े हो; इस कारण मैं रुका रहा, और अपना विचार तुम को बताने से डरता था।

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सरल हिन्दी बाइबल

तब बुज़वासी बारकएल के पुत्र एलिहू ने कहना प्रारंभ किया: “मैं ठहरा कम उम्र का और आप सभी बड़े; इसलिये मैं झिझकता रहा और मैंने अपने विचार व्यक्त नहीं किए.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तब बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू कहने लगा, “मैं तो जवान हूँ, और तुम बहुत बूढ़े हो; इस कारण मैं रुका रहा, और अपना विचार तुम को बताने से डरता था।

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अय्यूब 32:6
14 क्रॉस रेफरेंस  

हम कहते है, ‘ऐसे ही बूढ़ों के पास विवेक रहता है और लम्बी आयु समझ बूझ देती है।’


वे लोग जिनके बाल सफेद हैं और वृद्ध पुरुष हैं वे हमसे सहमत रहते हैं। हाँ, तेरे पिता से भी वृद्ध लोग हमारे पक्ष में हैं।


“अय्यूब, क्या तू सोचता है कि जन्म लेने वाला पहला व्यक्ति तू ही है? और पहाड़ों की रचना से भी पहले तेरा जन्म हुआ।


वहाँ एलीहू नाम का एक व्यक्ति भी था। एलीहू बारकेल का पुत्र था। बारकेल बुज़ नाम के एक व्यक्ति के वंशज था। एलीहू राम के परिवार से था। एलीहू को अय्यूब पर बहुत क्रोध आया क्योंकि अय्यूब कह रहा था कि वह स्वयं नेक है और वह परमेश्वर पर दोष लगा रहा था।


एलीहू ने जब यह देखा कि अय्यूब के तीनों मित्रों के पास कहने को और कुछ नहीं है तो उसे बहुत क्रोध आया।


फिर एलीहू ने बात को जारी रखते हुये कहा:


एलीहू कहता चला गया। वह बोला:


एलीहू ने बात जारी रखते हुए कहा:


“बूढ़े लोगों का सम्मान करो। जब वे कमरे में आएँ तो खड़े हो जाओ। अपने परमेश्वर का सम्मान करो। मैं यहोवा हूँ!”


जिस किसी का तुझे देना है, उसे चुका दे। जो कर तुझे देना है, उसे दे। जिसकी चूँगी तुझ पर निकलती है, उसे चूँगी दे। जिससे तुझे डरना चाहिए तू उससे डर। जिसका आदर करना चाहिए उसका आदर कर।


किसी बड़ी आयु के व्यक्ति के साथ कठोरता से मत बोलो, बल्कि उन्हें पिता के रूप में देखते हुए उनके प्रति विनम्र रहो। अपने से छोटों के साथ भाइयों जैसा बर्ताव करो।


इसी तरह युवकों को सिखाते रहो कि वे संयमी बनें।


इसी प्रकार हे नव युवकों! तुम अपने धर्मवृद्धों के अधीन रहो। तुम एक दूसरे के प्रति विनम्रता धारण करो, क्योंकि “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है किन्तु दीन जनों पर सदा अनुग्रह रहता है।”