दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “वह मैं हूँ जिसने पाप किया है! मैंने लोगों की गणना के लिये आदेश दिया था! मैं गलती पर था! इस्राएल के लोगों ने कुछ भी गलत नहीं किया। यहोवा मेरे परमेश्वर, मुझे और मेरे परिवार को दण्ड दे किन्तु उस भयंकर महामारी को रोक दे जो तेरे लोगों को मार रही है!”
यहोवा ने शैतान से कहा, “अच्छा, अय्यूब के पास जो कुछ है, उसके साथ, जैसा तू चाहता है, कर किन्तु उसके शरीर को चोट न पहुँचाना।” इसके बाद शैतान यहोवा के पास से चला गया।
अय्यूब के बच्चे जब जेवनार दे चुकते तो अय्यूब बड़े तड़के उठता और अपने हर बच्चे की ओर से होमबलि अर्पित करता। वह सोचता, “हो सकता है, मेरे बच्चे अपनी जेवनार में परमेश्वर के विरुद्ध भूल से कोई पाप कर बैठे हों।” अय्यूब इसलिये सदा ऐसा किया करता था ताकि उसके बच्चों को उनके पापों के लिये क्षमा मिल जाये।
वे लोग मेरे सामने रहते हैं और सदा मुझे क्रोधित करते रहते हैं। अपने विशेष बागों में वे लोग मिथ्या देवताओं को बलियाँ अर्पित करते हैं और धूप अगरबत्ती जलाते हैं।
यदि तुम उन गलत आज्ञाओं पर चलोगे, तो तुम्हारे देश पर विपत्ति आयेगी और भूखमरी फैलेगी। लोग भूखे मरेंगे। फिर वे क्रोधित होंगे और अपने राजा और अपने देवताओं के विरुद्ध बातें कहेंगे। इसके बाद वे सहायता के लिये परमेश्वर की ओर निहारेंगे।
इस्राएली स्त्री के लड़के ने यहोवा के नाम के बारे मे बुरी बातें कहनी शुरू कीं। इसलिए लोग उस पुत्र को मूसा के सामने लाए। (लड़के की माँ का नाम शलोमीत था जो दान के परिवार समूह से दिब्री की पुत्री थी।)
फिर मैंने ऊँचे स्वर में एक आकाशवाणी को कहते सुना: “यह हमारे परमेश्वर के विजय की घड़ी है। उसने अपनी शक्ति और संप्रभुता का बोध करा दिया है। उसके मसीह ने अपनी शक्ति को प्रकट कर दिया है क्योंकि हमारे बन्धुओं पर परमेश्वर के सामने दिन-रात लांछन लगाने वाले को नीचे धकेल दिया गया है।