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लूका 24:30 - नवीन हिंदी बाइबल

फिर ऐसा हुआ कि जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर आशिष माँगी और तोड़कर उन्हें देने लगा।

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पवित्र बाइबल

जब उनके साथ वह खाने की मेज पर था तभी उसने रोटी उठाई और धन्यवाद किया। फिर उसे तोड़ कर जब वह उन्हें दे रहा था

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Hindi Holy Bible

जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उस ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जब येशु उनके साथ भोजन करने बैठे, तब उन्‍होंने रोटी ली, आशिष माँगी और वह रोटी तोड़ कर उन्‍हें देने लगे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर धन्यवाद किया और उसे तोड़कर उनको देने लगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

जब वे सब भोजन के लिए बैठे, प्रभु येशु ने रोटी लेकर आशीर्वाद के साथ उसे तोड़ा और उन्हें दे दिया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उनको देने लगा।

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लूका 24:30
14 क्रॉस रेफरेंस  

तब उसने लोगों को घास पर बैठाने की आज्ञा देकर पाँच रोटियों और दो मछलियों को लिया और स्वर्ग की ओर देखकर आशिष माँगी, और रोटियाँ तोड़कर शिष्यों को दीं और शिष्यों ने लोगों को।


उसने सात रोटियाँ और मछलियाँ लीं, धन्यवाद देकर उन्हें तोड़ा और शिष्यों को देता गया, तथा शिष्य लोगों को।


जब वे भोजन कर रहे थे तो यीशु ने रोटी ली और आशिष माँगकर तोड़ी और शिष्यों को देकर कहा,“लो, खाओ; यह मेरी देह है।”


जब वे भोजन कर रहे थे तो यीशु ने रोटी ली, आशिष माँगकर तोड़ी और उन्हें देकर कहा,“लो, यह मेरी देह है।”


उसने पाँच रोटियों और दो मछलियों को लिया और स्वर्ग की ओर देखकर आशिष माँगी। फिर उसने रोटियाँ तोड़ीं और अपने शिष्यों को देता गया कि वे लोगों को परोसें; और उसने दो मछलियाँ भी उन सब में बाँट दीं।


तब उसने भीड़ को भूमि पर बैठने की आज्ञा दी, और उन सात रोटियों को लेकर धन्यवाद देते हुए तोड़ा और अपने शिष्यों को देता गया कि वे उन्हें परोसें और उन्होंने भीड़ को परोस दिया।


फिर उसने रोटी ली, धन्यवाद देकर तोड़ी और यह कहते हुए उन्हें दी,“यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए दी जाती है; मेरे स्मरण में यही किया करो।”


परंतु उन्होंने यह कहते हुए उसे विवश किया, “हमारे साथ ठहर जा, क्योंकि संध्या होने वाली है और अब दिन ढल गया है।” तब वह उनके साथ ठहरने के लिए भीतर गया।


तब वे मार्ग की बातें उन्हें बताने लगे और यह भी कि उन्होंने रोटी तोड़ते समय किस प्रकार उसे पहचाना।


तब उसने पाँच रोटियों और दो मछलियों को लिया और स्वर्ग की ओर देखकर आशिष माँगी, और उन्हें तोड़कर शिष्यों को देता गया कि लोगों को परोसें।


यीशु ने रोटियाँ लीं और धन्यवाद देकर बैठे हुए लोगों में बाँट दीं, उसी प्रकार उसने मछलियाँ भी लीं और जितनी वे चाहते थे, बाँट दीं।


वे प्रेरितों की शिक्षा पाने और संगति रखने, रोटी तोड़ने और प्रार्थना करने में निरंतर लगे रहे।


वे प्रतिदिन एक मन होकर मंदिर-परिसर में निरंतर इकट्ठा होते, घर-घर रोटी तोड़ते, आनंद तथा मन की सीधाई से भोजन करते,


यह कहने के बाद उसने रोटी लेकर सब के सामने परमेश्‍वर का धन्यवाद किया और तोड़कर खाने लगा।