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रोमियों 13:8 - नवीन हिंदी बाइबल

आपस के प्रेम को छोड़ किसी बात में किसी के ऋणी न बनो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है उसने व्यवस्था को पूरा किया है।

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पवित्र बाइबल

आपसी प्रेम के अलावा किसी का ऋण अपने ऊपर मत रख क्योंकि जो अपने साथियों से प्रेम करता है, वह इस प्रकार व्यवस्था को ही पूरा करता है।

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Hindi Holy Bible

आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

पारस्‍परिक प्रेम का ऋण छोड़ कर और किसी बात में किसी के ऋणी न बनें। जो दूसरों को प्‍यार करता है, उसने व्‍यवस्‍था का पूर्ण रूप से पालन किया है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।

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सरल हिन्दी बाइबल

आपसी प्रेम के अलावा किसी के कर्ज़दार न हो. वह जो अपने पड़ोसी से प्रेम करता है, उसने व्यवस्था का पालन कर लिया

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।

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रोमियों 13:8
12 क्रॉस रेफरेंस  

इसलिए जो कुछ तुम चाहते हो कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, वही तुम भी उनके साथ करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यवक्‍ता यही सिखाते हैं।


मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो; जैसे मैंने तुमसे प्रेम रखा वैसे ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।


प्रेम पड़ोसी की बुराई नहीं करता, इसलिए प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।


जिसका तुम्हें कुछ चुकाना है उसे चुकाओ : जिसे कर चुकाना है उसे कर चुकाओ, जिसे चुंगी देनी है उसे चुंगी दो, जिससे डरना है उससे डरो, जिसका आदर करना है उसका आदर करो।


क्योंकि संपूर्ण व्यवस्था एक ही वाक्य में पूरी हो जाती है : तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना।


और इन सब के ऊपर प्रेम को धारण करो जो सिद्धता का बंधन है।


परंतु हमारे इस निर्देश का लक्ष्य वह प्रेम है जो शुद्ध मन और खरे विवेक और निष्कपट विश्‍वास से उत्पन्‍न‍ होता है,


फिर भी, यदि तुम पवित्रशास्‍त्र के अनुसार उस राजसी व्यवस्था को कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, पूरा करते हो, तो तुम अच्छा करते हो।


इसी से परमेश्‍वर की संतान और शैतान की संतान की पहचान होती है; प्रत्येक जो धार्मिकता पर नहीं चलता, वह परमेश्‍वर से नहीं, और न ही वह जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता।