याकूब के घराने का विवरण यह है : जब यूसुफ सत्रह वर्ष का था तो वह अपने भाइयों के साथ भेड़-बकरियाँ चराता था। वह जवान था और अपने पिता की पत्नी बिल्हा और जिल्पा के पुत्रों के संग रहा करता था, तथा उनकी बुराइयों की सूचना अपने पिता को दिया करता था।
मत्ती 18:31 - नवीन हिंदी बाइबल इसलिए जो कुछ हुआ उसे देखकर उसके संगी दास बहुत उदास हुए; और उन्होंने जाकर अपने स्वामी को जो कुछ हुआ था वह सब बताया। पवित्र बाइबल दूसरे दास इस सारी घटना को देखकर बहुत दुःखी हुए। और उन्होंने जो कुछ घटा था, सब अपने स्वामी को जाकर बता दिया। Hindi Holy Bible उसके संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए, और जाकर अपने स्वामी को पूरा हाल बता दिया। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यह सब देख कर उसके दूसरे सह-सेवक बहुत दु:खी हुए और उन्होंने अपने स्वामी के पास जा कर सारी बातें बता दीं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसके संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए, और जाकर अपने स्वामी को पूरा हाल बता दिया। सरल हिन्दी बाइबल इसलिये जब अन्य दासों ने यह सब देखा, वे अत्यंत उदास हो गए और आकर स्वामी को इसकी सूचना दी. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसके संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए, और जाकर अपने स्वामी को पूरा हाल बता दिया। |
याकूब के घराने का विवरण यह है : जब यूसुफ सत्रह वर्ष का था तो वह अपने भाइयों के साथ भेड़-बकरियाँ चराता था। वह जवान था और अपने पिता की पत्नी बिल्हा और जिल्पा के पुत्रों के संग रहा करता था, तथा उनकी बुराइयों की सूचना अपने पिता को दिया करता था।
परंतु जब वह दास बाहर निकला तो उसे अपना एक संगी दास मिला जो उसके एक सौ दीनारका ऋणी था; तब वह उसे पकड़कर उसका गला दबाने लगा और कहा, ‘तुझ पर जो भी ऋण है, उसे चुका दे।’
परंतु वह नहीं माना बल्कि जाकर उसे तब तक के लिए बंदीगृह में डाल दिया जब तक वह ऋण न चुका दे।
तब उसके स्वामी ने उसे बुलाकर उससे कहा, ‘अरे दुष्ट दास, तूने मुझसे विनती की, इसलिए मैंने तेरा वह सारा ऋण क्षमा कर दिया था;
उसने उन सब को क्रोध से देखा और उनके मन की कठोरता पर दुःखी होकर उस मनुष्य से कहा,“अपना हाथ बढ़ा!” उसने बढ़ाया और उसका हाथ फिर से ठीक हो गया।
अतः उस दास ने आकर अपने स्वामी को ये बातें बताईं। तब घर के स्वामी ने क्रोधित होकर अपने दास से कहा, ‘तू शीघ्र नगर की सड़कों और गलियों में जा, और कंगालों, अपंगों, अंधों और लंगड़ों को यहाँ ले आ।’
मैं लज्जा के साथ कहता हूँ कि हम निर्बल ही रहे हैं। परंतु जिस किसी बात में कोई साहस रखता है—मैं मूर्खता से कहता हूँ—तो मैं भी उतना ही साहस रखता हूँ।
अपने अगुवों की आज्ञा मानो और उनके अधीन रहो; वे तो यह जानकर कि उन्हें लेखा देना है, तुम्हारे प्राणों की चौकसी करते हैं, इसलिए उन्हें यह कार्य आनंद से करने दो न कि आहें भरते हुए, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कोई लाभ नहीं होगा।
बंदियों की ऐसी सुधि लो कि मानो तुम भी उनके साथ बंदी हो, और उनकी भी सुधि लो जिनके साथ दुर्व्यवहार होता है, क्योंकि तुम भी देह में हो।