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भजन संहिता 42:11 - नवीन हिंदी बाइबल

हे मेरे मन, तू निराश क्यों है? तू भीतर ही भीतर व्याकुल क्यों है? परमेश्‍वर पर आशा लगाए रह; मैं तो उसकी स्तुति करूँगा जो मेरा उद्धारकर्ता और मेरा परमेश्‍वर है।

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पवित्र बाइबल

मैं इतना दुखी क्यों हूँ? मैं क्यों इतना व्याकुल हूँ? मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए। मुझे अब भी उसकी स्तुति करने का अवसर मिलगा। वह मुझे बचाएगा।

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Hindi Holy Bible

हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूंगा॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

ओ मेरे प्राण, तू क्‍यों व्‍याकुल है? क्‍यों तू हृदय में अशांत है? ओ मेरे प्राण, तू परमेश्‍वर की आशा कर; मैं अपने उद्धार को, अपने परमेश्‍वर को पुन: सराहूँगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्‍वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्‍वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

मेरे प्राण, तुम ऐसे खिन्‍न क्यों हो? क्यों मेरे हृदय में तुम ऐसे व्याकुल हो गए हो? परमेश्वर पर भरोसा रखो, क्योंकि यह सब होते हुए भी मैं याहवेह का स्तवन करूंगा.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा। (भज. 43:5, मर. 14:34, यूह. 12:27)

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भजन संहिता 42:11
9 क्रॉस रेफरेंस  

क्योंकि मैं रोटी के समान राख खाता हूँ, और आँसू मिलाकर पानी पीता हूँ।


जाति-जाति के लोग यह क्यों कहें कि उनका परमेश्‍वर कहाँ है?


हे मेरे मन, तू निराश क्यों है? तू भीतर ही भीतर व्याकुल क्यों है? परमेश्‍वर पर आशा लगाए रह; मैं तो उसकी स्तुति करूँगा जो मेरा उद्धारकर्ता और मेरा परमेश्‍वर है।


हे मेरे मन, तू निराश क्यों है? तू भीतर ही भीतर व्याकुल क्यों है? परमेश्‍वर पर आशा लगाए रह; मैं तो उसकी स्तुति करूँगा जो मेरा उद्धारकर्ता और मेरा परमेश्‍वर है।


जाति-जाति के लोग क्यों कहें, “उनका परमेश्‍वर कहाँ है?” तेरे सेवकों के बहाए गए लहू का बदला लिया जाना हमारी आँखों के सामने जाति-जाति के लोगों के मध्य प्रकट हो जाए।


यह सुनकर यीशु ने कहा,“वैद्य की आवश्यकता स्वस्थ लोगों को नहीं बल्कि बीमारों को है।