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भजन संहिता 127:2 - नवीन हिंदी बाइबल

तुम्हारा सवेरे-सवेरे उठना, देर तक जागते रहना और परिश्रम की रोटी खाना, तुम्हारे लिए व्यर्थ है; क्योंकि वह तो अपने प्रियों को नींद प्रदान करता है।

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पवित्र बाइबल

यदि सुबह उठ कर तुम देर रात गए तक काम करो। इसलिए कि तुम्हें बस खाने के लिए कमाना है, तो तुम व्यर्थ समय खोते हो। परमेश्वर अपने भक्तों का उनके सोते तक में ध्यान रखता है।

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Hindi Holy Bible

तुम जो सवेरे उठते और देर करके विश्राम करते और दु:ख भरी रोटी खाते हो, यह सब तुम्हारे लिये व्यर्थ ही है; क्योंकि वह अपने प्रियों को यों ही नींद दान करता है॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

तुम व्‍यर्थ ही तड़के उठते, और देर से सोते हो, तुम व्‍यर्थ ही कठोर परिश्रम की रोटी खाते हो, क्‍योंकि प्रभु ही अपने प्रियजनों को नींद प्रदान करता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तुम जो सबेरे उठते और देर करके विश्राम करते और दु:ख भरी रोटी खाते हो, यह सब तुम्हारे लिये व्यर्थ ही है; क्योंकि वह अपने प्रियों को योंही नींद प्रदान करता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

तुम्हारा सुबह जाग उठना देर तक जागे रहना, संकटपूर्ण श्रम का भोजन करना व्यर्थ है; क्योंकि याहवेह द्वारा नींद का अनुदान उनके लिए है, जिनसे वह प्रेम करते हैं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तुम जो सवेरे उठते और देर करके विश्राम करते और कठोर परिश्रम की रोटी खाते हो, यह सब तुम्हारे लिये व्यर्थ ही है; क्योंकि वह अपने प्रियों को यों ही नींद प्रदान करता है।

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भजन संहिता 127:2
17 क्रॉस रेफरेंस  

मैं लेटकर सो गया। मैं फिर जाग उठा, क्योंकि यहोवा मुझे संभालता है।


मैं शांति से लेट जाऊँगा और सो जाऊँगा; क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझे सुरक्षित रखता है।


तू अपने दाहिने हाथ के द्वारा हमें बचा, और हमारी सुन ले कि तेरे प्रिय छुड़ाए जाएँ।


धन यहोवा की आशिष से ही प्राप्‍त होता है, और वह उसके साथ दुःख नहीं मिलाता।


मैंने उन सब कार्यों को देखा जो सूर्य के नीचे किए जाते हैं; देखो, वे सब व्यर्थ और वायु को पकड़ने के समान हैं।


एक व्यक्‍ति है जिसका कोई नहीं है; उसका न तो कोई पुत्र है और न भाई, फिर भी उसके परिश्रम का अंत नहीं होता; और उसकी आँखें धन से संतुष्‍ट नहीं होतीं; और न वह यह सोचता है कि मैं किसके लिए परिश्रम करता हूँ और क्यों अपने को सुख से वंचित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और दुःखद कार्य है।


श्रमिक चाहे थोड़ा खाए या बहुत, उसे मीठी नींद आती है; परंतु धनी को उसके धन की बहुतायत सोने नहीं देती।


मनुष्य का सारा परिश्रम उसके पेट के लिए होता है, फिर भी उसका जी नहीं भरता।