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नीतिवचन 12:25 - नवीन हिंदी बाइबल

चिंता से मनुष्य का मन निराश हो जाता है, परंतु भली बात उसे आनंदित कर देती है।

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पवित्र बाइबल

चिंतापूर्ण मन व्यक्ति को दबोच लेता है; किन्तु भले वचन उसे हर्ष से भर देते हैं।

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Hindi Holy Bible

उदास मन दब जाता है, परन्तु भली बात से वह आनन्दित होता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

मनुष्‍य के मन की चिन्‍ता उसको दबा देती है; पर एक सुभाषित वचन उसको आनन्‍दित कर देता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

उदास मन दब जाता है, परन्तु भली बात से वह आनन्दित होता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

चिंता का बोझ किसी भी व्यक्ति को दबा छोड़ता है, किंतु सांत्वना का मात्र एक शब्द उसमें आनंद को भर देता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

उदास मन दब जाता है, परन्तु भली बात से वह आनन्दित होता है।

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नीतिवचन 12:25
19 क्रॉस रेफरेंस  

मैं झुक गया और नीचे दब गया हूँ। मैं दिन भर विलाप करता फिरता हूँ;


हे मेरे मन, तू निराश क्यों है? तू भीतर ही भीतर व्याकुल क्यों है? परमेश्‍वर पर आशा लगाए रह; मैं तो उसकी स्तुति करूँगा जो मेरा उद्धारकर्ता और मेरा परमेश्‍वर है।


बिना सोचे-समझे बोलनेवाले की बातें तलवार के समान चुभती हैं, परंतु बुद्धिमान की बातें स्वस्थ करती हैं।


धर्मी अपने मित्र का मार्गदर्शन करता है, परंतु दुष्‍टों की चाल उन्हीं को भटका देती है।


मन अपने दुःख को स्वयं जानता है, और कोई पराया उसके आनंद में सहभागी नहीं होता।


जब मन आनंदित होता है तो मुख पर प्रसन्‍न‍ता छा जाती है, परंतु जब मन दुःखी होता है तो आत्मा भी निराश हो जाती है।


दुःखी व्यक्‍ति के सब दिन बुरे होते हैं; परंतु जिसका मन प्रसन्‍न‍ रहता है, वह सदैव उत्सव मनाता है।


सटीक उत्तर देना मनुष्य के लिए आनंद की बात है, और उपयुक्‍त समय पर कहा गया वचन कितना अच्छा होता है!


आँखों की चमक से मन आनंदित होता है, और अच्छे समाचार से हड्डियाँ पुष्‍ट होती हैं।


मनभावने वचन शहद के छत्ते के समान होते हैं; वे प्राण के लिए मीठे और देह को स्वस्थ करनेवाले होते हैं।


आनंदित हृदय अच्छी औषधि है, परंतु निराश मन हड्डियों को सुखा देता है।


बीमारी में मनुष्य की आत्मा उसे संभालती है, परंतु जब आत्मा दुःखी हो जाती है तो उसे कौन संभाल सकता है?


उचित समय पर कही गई बात चाँदी की टोकरियों में रखे सोने के सेबों के समान होती है।


जैसे तेल और इत्र मन को आनंदित करते हैं, वैसे ही मित्र के हृदय से निकली मनोहर सम्मति भी मन को आनंदित करती है।