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नीतिवचन 10:17 - नवीन हिंदी बाइबल

जो शिक्षा का पालन करता है, वह जीवन के मार्ग पर है, परंतु जो डाँट से मुँह मोड़ता है, वह भटक जाता है।

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पवित्र बाइबल

ऐसे अनुशासन से जो जन सीखता है, जीवन के मार्ग की राह वह दिखाता है। किन्तु जो सुधार की उपेक्षा करता है ऐसा मनुष्य तो भटकाया करता है।

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Hindi Holy Bible

जो शिक्षा पर चलता वह जीवन के मार्ग पर है, परन्तु जो डांट से मुंह मोड़ता, वह भटकता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जो मनुष्‍य शिक्षा की बातों पर ध्‍यान देता है, वह जीवन के मार्ग पर चलता है; पर जो व्यक्‍ति चेतावनी की उपेक्षा करता है; वह जीवन के मार्ग से भटक जाता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जो शिक्षा पर चलता, वह जीवन के मार्ग पर है, परन्तु जो डाँट से मुँह मोड़ता, वह भटकता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

जो कोई सावधानीपूर्वक शिक्षा का चालचलन करता है, वह जीवन मार्ग पर चल रहा होता है, किंतु जो ताड़ना की अवमानना करता है, अन्यों को भटका देता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जो शिक्षा पर चलता वह जीवन के मार्ग पर है, परन्तु जो डाँट से मुँह मोड़ता, वह भटकता है।

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नीतिवचन 10:17
22 क्रॉस रेफरेंस  

उन्होंने मेरी सम्मति न चाही, बल्कि मेरी हर ताड़ना को तुच्छ समझा।


जो कोई शिक्षा से प्रीति रखता है, वह ज्ञान से प्रीति रखता है; परंतु जो ताड़ना से घृणा करता है, वह पशु के समान निर्बुद्धि है।


जो मार्ग को छोड़ देता है, उसकी बड़ी ताड़ना होती है; और जो डाँट से बैर रखता है, वह मर जाता है।


जो शिक्षा की उपेक्षा करता है, वह अपने प्राण को तुच्छ जानता है; परंतु जो ताड़ना पर ध्यान देता है, वह समझ प्राप्‍त करता है।


जो मनुष्य डाँट खा खाकर भी हठ नहीं छोड़ता, वह अचानक नष्‍‍ट हो जाएगा और फिर कोई उपाय न रहेगा।


जो उसे ग्रहण करते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है; और जो उसे थामे रहते हैं, वे धन्य हैं।


शिक्षा को थामे रह, उसे छोड़ न दे; उसकी रक्षा कर, क्योंकि वही तेरा जीवन है।


तब मेरे पिता ने मुझे यह कहकर सिखाया, “तेरा मन मेरे वचनों पर लगा रहे। मेरी आज्ञाओं का पालन कर, तो तू जीवित रहेगा।


“हाय! मैंने शिक्षा से कैसा बैर किया, और मेरे मन ने चेतावनियों का कैसा तिरस्कार किया!


मैं सभा और मंडली के सामने पूरी तरह से नष्‍ट होने पर था।”


क्योंकि आज्ञा तो दीपक, और शिक्षा ज्योति है, तथा अनुशासन के लिए ताड़ना जीवन का मार्ग है।


तू अपनी बातों के कारण पाप में न फँसना, और न परमेश्‍वर के दूत के सामने कहना कि यह भूल से हुआ; परमेश्‍वर तेरी बातों से क्यों अप्रसन्‍न हो, और तेरे हाथ के कार्यों को नष्‍ट करे?


उसने कहा,“हाँ, बल्कि अधिक धन्य वे हैं जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”


सावधान रहो, कहीं तुम उस कहनेवाले का इनकार न कर दो; क्योंकि यदि वे पृथ्वी पर चेतावनी देनेवाले का इनकार करके नहीं बच सके, तो हम स्वर्ग से चेतावनी देनेवाले से मुँह मोड़कर बिलकुल नहीं बच सकेंगे।


इस कारण यह आवश्यक है कि हम उन बातों पर जो हमने सुनी हैं और भी अधिक ध्यान लगाएँ; कहीं ऐसा न हो कि हम भटक जाएँ।