फिर मैं रोटी ले आऊँगा, ताकि आप खाकर तृप्त हो जाएँ, और उसके बाद आगे बढ़ें; क्योंकि आप अपने दास के यहाँ आए हैं।” उन्होंने कहा, “जैसा तू कहता है वैसा ही कर।”
निर्गमन 2:20 - नवीन हिंदी बाइबल तब उसने अपनी बेटियों से कहा, “वह पुरुष कहाँ है? तुम उसे क्यों छोड़ आई हो? उसे बुला लाओ कि वह भोजन करे।” पवित्र बाइबल इसलिए रुएल ने अपनी पुत्रियों से कहा, “यह व्यक्ति कहाँ है? तुम लोगों ने उसे छोड़ा क्यों? उसे यहाँ बुलाओ और हम लोगों के साथ उसे भोजन करने दो।” Hindi Holy Bible तब उसने अपनी बेटियों से कहा, वह पुरूष कहां है? तुम उसको क्योंछोड़ आई हो? उसको बुला ले आओ कि वह भोजन करे। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उसने अपनी पुत्रियों से पूछा, ‘वह कहां है? तुम उस पुरुष को क्यों छोड़ आईं? उसे बुलाओ कि वह हमारे साथ भोजन करे।’ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब उसने अपनी बेटियों से कहा, “वह पुरुष कहाँ है? तुम उसको क्यों छोड़ आई हो? उसको बुला ले आओ कि वह भोजन करे।” सरल हिन्दी बाइबल रियुएल ने अपनी पुत्रियों से पूछा, “वह व्यक्ति कहां है? तुम उसे वहीं क्यों छोड़ आई? उसे भोजन के लिए बुला लाओ!” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब उसने अपनी बेटियों से पूछा, “वह पुरुष कहाँ है? तुम उसको क्यों छोड़ आई हो? उसको बुला ले आओ कि वह भोजन करे।” |
फिर मैं रोटी ले आऊँगा, ताकि आप खाकर तृप्त हो जाएँ, और उसके बाद आगे बढ़ें; क्योंकि आप अपने दास के यहाँ आए हैं।” उन्होंने कहा, “जैसा तू कहता है वैसा ही कर।”
अपने भानजे याकूब के आने का समाचार सुनते ही लाबान उससे भेंट करने को दौड़ा, और उसे गले लगाकर चूमा, तथा उसे अपने घर ले आया। तब याकूब ने लाबान को अपनी सब बातें बताईं।
फिर याकूब ने उस पहाड़ पर बलि चढ़ाई, और अपने संबंधियों को भोजन करने के लिए बुलाया। इस प्रकार उन्होंने भोजन करके पहाड़ पर रात बिताई।
तब उन्होंने दोपहर को यूसुफ के आने के समय तक उस भेंट को तैयार करके रखा क्योंकि उन्होंने सुन लिया था कि उन्हें वहीं भोजन करना है।
उन्होंने कहा, “एक मिस्री पुरुष ने चरवाहों से हमें बचाया, और यहाँ तक कि हमारे लिए पानी भरकर भेड़-बकरियों को पिलाया।”
मूसा उस व्यक्ति के साथ रहने के लिए तैयार हुआ, और उसने अपनी बेटी सिप्पोरा का विवाह मूसा से करा दिया।
वह अच्छे कार्यों के लिए जानी जाती हो, अर्थात् जिसने बच्चों का पालन-पोषण किया हो, अतिथि सेवा की हो, पवित्र लोगों के पैर धोए हों, दुखियों की सहायता की हो, और जो हर भले कार्य में लगी रही हो।
अतिथि-सत्कार करना न भूलो, क्योंकि इसके द्वारा कुछ लोगों ने अनजाने में ही स्वर्गदूतों का स्वागत-सत्कार किया है।