“इसलिए अब फ़िरौन किसी समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति को ढूँढ़कर उसे मिस्र देश पर अधिकारी नियुक्त करे।
उत्पत्ति 41:34 - नवीन हिंदी बाइबल फ़िरौन अब देश पर अधिकारियों को नियुक्त करे, और बहुतायत के सातों वर्ष वह मिस्र देश की उपज का पाँचवाँ भाग लिया करे। पवित्र बाइबल तब आप दूसरे व्यक्तियों को जनता से भोजन इकट्ठा करने के लिए चुनें। हर व्यक्ति सात अच्छे वर्षों में जितना भोजन उत्पन्न करे, उसका पाँचवाँ हिस्सा दे। Hindi Holy Bible फिरौन यह करे, कि देश पर अधिकारियों को नियुक्त करे, और जब तक सुकाल के सात वर्ष रहें तब तक वह मिस्र देश की उपज का पंचमांश लिया करे। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) आप तत्काल देश में निरीक्षक भी नियुक्त करें। वे मिस्र देश के सुकाल के वर्षों में उपज का पांचवां भाग लें। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) फ़िरौन यह करे कि देश पर अधिकारियों को नियुक्त करे, और जब तक सुकाल के सात वर्ष रहें तब तक वह मिस्र देश की उपज का पंचमांश लिया करे। सरल हिन्दी बाइबल और फ़रोह सारे मिस्र देश में सर्वेक्षकों को नियुक्त करे और सात वर्ष जो अच्छी फसल और उपज का है, उस समय भूमि की उपज का पंचमांश इकट्ठा करें. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 फ़िरौन यह करे कि देश पर अधिकारियों को नियुक्त करे, और जब तक सुकाल के सात वर्ष रहें तब तक वह मिस्र देश की उपज का पंचमांश लिया करे। |
“इसलिए अब फ़िरौन किसी समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति को ढूँढ़कर उसे मिस्र देश पर अधिकारी नियुक्त करे।
वे इन आने वाले अच्छे वर्षों में सब प्रकार की भोजन-सामग्री इकट्ठा करें, और सब नगरों में भोजन के लिए अन्न को एकत्र करके फ़िरौन के अधिकार में रखें, तथा उनकी रक्षा करें।
कटनी के समय तुम्हें पाँचवाँ भाग फ़िरौन को देना होगा, बाकी चार भाग तुम्हारे होंगे ताकि तुम उसे खेत में बो सको, और अपने घराने, तथा अपने बाल-बच्चों के साथ भोजन के रूप में खा सको।”
अतः यूसुफ ने मिस्र की भूमि के विषय में ऐसा नियम बनाया, जो आज तक चला आता है कि पाँचवाँ भाग फ़िरौन का होगा। केवल याजकों की भूमि ही फ़िरौन की नहीं हुई।
समझदार मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है, परंतु अनुभवहीन लोग आगे बढ़कर कष्ट भोगते हैं।
विपत्ति को आते देखकर समझदार मनुष्य छिप जाता है, परंतु नासमझ लोग बढ़े चले जाते हैं और हानि उठाते हैं।
और उसने अपने स्वामी के ऋणियों को एक-एक करके बुलाया और पहले से पूछा, ‘मेरे स्वामी का तुझ पर कितना ऋण है?’