इब्रानियों 10:1 - नवीन हिंदी बाइबल व्यवस्था में तो आने वाली अच्छी वस्तुओं की छाया मात्र है, उनका वास्तविक स्वरूप नहीं है, इसलिए वह अपने पास आनेवालों को उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रतिवर्ष नियमित रूप से चढ़ाए जाते हैं, कभी सिद्ध नहीं बना सकती। पवित्र बाइबल व्यवस्था का विधान तो आने वाली उत्तम बातों की छाया मात्र प्रदान करता है। अपने आप में वे बातें यथार्थ नहीं हैं। इसलिए उन्हीं बलियों के द्वारा जिन्हें निरन्तर प्रति वर्ष अनन्त रूप से दिया जाता रहता है, उपासना के लिए निकट आने वालों को सदा-सदा के लिए सम्पूर्ण सिद्ध नहीं किया जा सकता। Hindi Holy Bible क्योंकि व्यवस्था जिस में आने वाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उन का असली स्वरूप नहीं, इसलिये उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रति वर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आने वालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकतीं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) व्यवस्था भावी कल्याण का वास्तविक रूप नहीं, उसकी छाया मात्र दिखाती है। उसके नियमों के अनुसार प्रतिवर्ष बलि ही बलि चढ़ायी जाती है। व्यवस्था उन बलियों के द्वारा आराधकों को सदा के लिए पूर्णता तक पहुँचाने में असमर्थ है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि व्यवस्था, जिसमें आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है पर उनका असली स्वरूप नहीं, इसलिये उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा जो प्रतिवर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आनेवालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकती। सरल हिन्दी बाइबल व्यवस्था केवल आनेवाली उत्तम वस्तुओं की छाया मात्र है, न ही उनका असली रूप; इसलिये वर्ष-प्रतिवर्ष, निरंतर रूप से बलिदान के द्वारा यह आराधकों को सिद्ध कभी नहीं बना सकता. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि व्यवस्था जिसमें आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उनका असली स्वरूप नहीं, इसलिए उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रतिवर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आनेवालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकती। |
जो कार्य शरीर के दुर्बल होने के कारण व्यवस्था से असंभव था, उसे परमेश्वर ने किया अर्थात् अपने पुत्र को पापमय शरीर की समानता में और पापबलि होने के लिए भेजकर शरीर में पाप को दोषी ठहराया,
तो आओ, हम सच्चे मन और विश्वास के पूर्ण आश्वासन के साथ, और विवेक के दोष को दूर करने के लिए हृदयों पर छिड़काव लेकर तथा देह को शुद्ध जल से धोकर परमेश्वर के पास आएँ।
अब यदि सिद्धता लेवीय याजक पद के द्वारा प्राप्त होती (क्योंकि इसी आधार पर लोगों को व्यवस्था प्राप्त हुई थी), तो फिर किसी दूसरे याजक के खड़े होने की क्या आवश्यकता थी जो हारून की रीति के अनुसार न होकर मलिकिसिदक की रीति के अनुसार हो?
जो स्वर्ग की वस्तुओं के प्रतिरूप और छाया की सेवा करते हैं; जैसे मूसा को, जब वह तंबू बनाने वाला था, परमेश्वर से चेतावनी मिली थी : देख, तू सब कुछ उस नमूने के अनुसार बनाना जो तुझे पहाड़ पर दिखाया गया था।
परंतु जब मसीह आने वाली अच्छी बातों के महायाजक के रूप में प्रकट हुआ, तो उसने और भी श्रेष्ठ तथा सिद्ध तंबू से होकर प्रवेश किया, जो हाथों का बनाया हुआ अर्थात् इस सृष्टि का नहीं है।
इसलिए आवश्यक था कि स्वर्ग की वस्तुओं के प्रतिरूप इन बलिदानों के द्वारा शुद्ध किए जाते, परंतु स्वर्गीय वस्तुएँ स्वयं इनसे भी उत्तम बलिदानों के द्वारा शुद्ध की जातीं।
इसलिए नहीं कि वह अपने आपको बार-बार चढ़ाए—जिस प्रकार महायाजक प्रतिवर्ष दूसरे का लहू लेकर पवित्र स्थान में प्रवेश करता है—