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2 कुरिन्थियों 9:7 - नवीन हिंदी बाइबल

प्रत्येक जन वैसा ही दान करे जैसा उसने अपने मन में निश्‍चित किया है, न तो अनिच्छा से और न ही विवश होकर; क्योंकि परमेश्‍वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।

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पवित्र बाइबल

हर कोई बिना किसी कष्ट के या बिना किसी दबाव के, उतना ही दे जितना उसने मन में सोचा है। क्योंकि परमेश्वर प्रसन्न-दाता से ही प्रेम करता है।

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Hindi Holy Bible

हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

हर एक ने अपने मन में जितना निश्‍चित किया है, उतना ही दे। वह अनिच्‍छा से अथवा लाचारी से ऐसा न करे, क्‍योंकि “परमेश्‍वर प्रसन्नता से देने वाले को प्‍यार करता है।”

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे; न कुढ़ कुढ़ के और न दबाव से, क्योंकि परमेश्‍वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

इसलिये जिसने अपने मन में जितना भी देने का निश्चय किया है, उतना ही दे—बिना इच्छा के या विवशता में नहीं क्योंकि परमेश्वर को प्रिय वह है, जो आनंद से देता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे; न कुढ़-कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है। (व्यव. 18:10, नीति. 22:9, नीति. 11:25)

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2 कुरिन्थियों 9:7
17 क्रॉस रेफरेंस  

“इस्राएलियों से कह कि मेरे लिए भेंट लाएँ। तुम प्रत्येक उस व्यक्‍ति से मेरे लिए भेंट लेना जो अपनी इच्छा से देना चाहे।


तुम अपने बीच में से यहोवा के लिए भेंट लो; जो अपनी इच्छा से देना चाहे वह यहोवा के लिए भेंट के रूप में इन वस्तुओं को लेकर आए : सोना, चाँदी, पीतल,


उदार व्यक्‍ति संपन्‍न हो जाता है; और जो दूसरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी।


उदार व्यक्‍ति आशीषित होगा, क्योंकि वह कंगाल को अपने भोजन में से देता है।


मैंने तुम्हें सब बातों में दिखाया कि इसी प्रकार परिश्रम करके निर्बलों को संभालना, और प्रभु यीशु के उन वचनों को स्मरण रखना अवश्य है, जो उसने स्वयं कहे :‘लेने से देना धन्य है।’ ”


प्रोत्साहित करनेवाला हो तो प्रोत्साहित करे। दान देनेवाला उदारता से दे, नेतृत्व करनेवाला उत्साह से नेतृत्व करे, दया करनेवाला सहर्ष दया करे।


क्योंकि यदि कोई दान देने को उत्सुक हो, तो जो उसके पास है उसी के अनुसार वह दान ग्रहणयोग्य होता है, न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं है।


परंतु तेरी सहमति के बिना मैंने कुछ करना न चाहा ताकि तेरी भलाई विवशता से नहीं बल्कि अपनी इच्छा से हो।


हे भाइयो, एक दूसरे के विरुद्ध शिकायत मत करो, ताकि तुम दोषी न ठहराए जाओ; देखो, न्यायी द्वार ही पर खड़ा है।


बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे का अतिथि-सत्कार करो।