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2 कुरिन्थियों 4:8 - नवीन हिंदी बाइबल

हम चारों ओर से कष्‍ट तो सहते हैं परंतु कुचले नहीं जाते, निरुपाय तो होते हैं परंतु आशा नहीं छोड़ते,

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पवित्र बाइबल

हम हर समय हर किसी प्रकार से कठिन दबावों में जीते हैं, किन्तु हम कुचले नहीं गये हैं। हम घबराये हुए हैं किन्तु निराश नहीं हैं।

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Hindi Holy Bible

हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

हम कष्‍टों से घिरे रहते हैं, परन्‍तु कभी हार नहीं मानते। हम परेशान होते हैं, परन्‍तु कभी निराश नहीं होते।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरुपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते;

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सरल हिन्दी बाइबल

हम चारों ओर से कष्टों से घिरे रहते हैं, किंतु कुचले नहीं जाते; घबराते तो हैं, किंतु निराश नहीं होते;

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरुपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।

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2 कुरिन्थियों 4:8
26 क्रॉस रेफरेंस  

हाँ, बचपन से ही वे मुझे बार-बार क्लेश देते आए हैं, परंतु मुझ पर प्रबल नहीं हुए।


यहोवा उसके हाथ में धर्मी को न छोड़ेगा; और जब उसका न्याय होगा तो वह उसे दोषी नहीं ठहराएगा।


यहोवा का भय माननेवाले को दृढ़ भरोसा प्राप्‍त होता है, और उसकी संतान को शरणस्थान मिलता है।


यहोवा का नाम एक दृढ़ गढ़ है; धर्मी भागकर उसमें सुरक्षा पाता है।


मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा, मैं तुम्हारे पास आऊँगा।


तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े हो जो मनुष्य के सहने से बाहर है। परमेश्‍वर विश्‍वासयोग्य है और वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में पड़ने नहीं देगा, बल्कि परीक्षा के साथ-साथ बचने का उपाय भी करेगा कि तुम उसे सह सको।


इस कारण मसीह के लिए मैं निर्बलताओं में, अपमानों में, कठिनाइयों में, सतावों और विपत्तियों में प्रसन्‍न हूँ; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी बलवान होता हूँ।


तुम्हारे संकोच का कारण हम नहीं हैं, परंतु तुम अपने ही मनों में संकोच करते हो।


बल्कि हम हर बात में परमेश्‍वर के सेवकों के समान अपने आपको प्रस्तुत करते हैं, अर्थात् बड़े धीरज के साथ क्लेशों में, अभावों में, संकटों में,


जब हम मकिदुनिया में आए तब भी हमारी देह को विश्राम न मिला, बल्कि चारों ओर से कष्‍टों से घिरे रहे—बाहर झगड़े थे तो भीतर भय।


इच्छा तो यह है कि अभी तुम्हारे पास आकर और ही तरह से बात करूँ, क्योंकि मैं तुम्हारे विषय में उलझन में हूँ।