तुम क्या चाहते हो? क्या मैं छड़ी लेकर तुम्हारे पास आऊँ, या प्रेम और नम्रता की आत्मा के साथ?
2 कुरिन्थियों 2:3 - नवीन हिंदी बाइबल और मैंने यह बात इसलिए लिखी है कि जब मैं आऊँ मुझे उनसे दुःख न पहुँचे जिनसे मुझे आनंद मिलना चाहिए, क्योंकि मुझे तुम सब पर भरोसा है कि जो आनंद मेरा है वही तुम सब का भी है। पवित्र बाइबल यही बात तो मैंने तुम्हें लिखी है कि जब मैं तुम्हारे पास आऊँ तो जिनसे मुझे आनन्द मिलना चाहिए, उनके द्वारा मुझे दुःख न पहुँचाया जाये। क्योंकि तुम सब में मेरा यह विश्वास रहा है कि मेरी प्रसन्नता में ही तुम सब प्रसन्न होगे। Hindi Holy Bible और मैं ने यही बात तुम्हें इसलिये लिखी, कि कहीं ऐसा न हो, कि मेरे आने पर जिन से आनन्द मिलना चाहिए, मैं उन से उदास होऊं; क्योंकि मुझे तुम सब पर इस बात का भरोसा है, कि जो मेरा आनन्द है, वही तुम सब का भी है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तब मैंने इस बात को लेकर पत्र लिखा, जिससे कहीं ऐसा न हो कि मेरे आने पर, जिन लोगों से मुझे आनन्द मिलना चाहिए, वे मुझे दु:खी बनायें; क्योंकि आप सब के विषय में मेरा दृढ़ विश्वास है कि मेरा आनन्द आप सब का आनन्द भी है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और मैं ने यही बात तुम्हें इसलिये लिखी कि कहीं ऐसा न हो कि मेरे आने पर, जिनसे मुझे आनन्द मिलना चाहिए मैं उनसे उदास होऊँ; क्योंकि मुझे तुम सब पर इस बात का भरोसा है कि जो मेरा आनन्द है, वही तुम सब का भी है। सरल हिन्दी बाइबल मैंने तुम्हें इसी उद्देश्य से पत्र लिखा था कि जब मैं वहां आऊं तो वे ही लोग मेरे दुःख का कारण न हो जाएं, जिनसे मुझे आनंद की आशा है. मुझे निश्चय है कि मेरा आनंद तुम सभी का आनंद है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और मैंने यही बात तुम्हें इसलिए लिखी, कि कहीं ऐसा न हो, कि मेरे आने पर जिनसे मुझे आनन्द मिलना चाहिए, मैं उनसे उदास होऊँ; क्योंकि मुझे तुम सब पर इस बात का भरोसा है, कि जो मेरा आनन्द है, वही तुम सब का भी है। |
तुम क्या चाहते हो? क्या मैं छड़ी लेकर तुम्हारे पास आऊँ, या प्रेम और नम्रता की आत्मा के साथ?
इसी भरोसे के साथ मैं पहले तुम्हारे पास आना चाहता था कि तुम्हें दूसरी बार आशिष प्राप्त हो,
मैं परमेश्वर को अपने जीवन का साक्षी मानकर कहता हूँ कि तुम्हें दुःख से बचाने के लिए ही मैं फिर कुरिंथुस नहीं आया।
मैं मूर्ख बन गया हूँ, तुमने ही मुझे इसके लिए विवश किया है; वास्तव में तुम्हें तो मेरी प्रशंसा करनी चाहिए थी। यद्यपि मैं कुछ भी नहीं हूँ, फिर भी उन महाप्रेरितों से किसी भी प्रकार से कम नहीं हूँ।
मुझे डर है, कहीं ऐसा न हो कि जब मैं फिर से आऊँ तो मेरा परमेश्वर मुझे तुम्हारे सामने लज्जित करे, और मैं उन बहुतों के लिए शोक करूँ जिन्होंने पाप किया है और अपनी अशुद्धता, व्यभिचार और कामुकता के कार्यों से पश्चात्ताप नहीं किया।
इस कारण अनुपस्थित होते हुए भी मैं ये बातें लिख रहा हूँ, ताकि जब मैं तुम्हारे पास आऊँ तो मुझे उस अधिकार का प्रयोग कठोरता से न करना पड़े जिसे प्रभु ने मुझे तुम्हारे विनाश के लिए नहीं बल्कि उन्नति के लिए दिया है।
मैंने तुम्हें इसलिए भी लिखा था कि तुम्हें परखकर जान लूँ कि तुम सब बातों में आज्ञाकारी हो या नहीं।
यद्यपि मैंने तुम्हें लिखा, फिर भी यह न तो उस अन्याय करनेवाले के कारण था और न ही अन्याय सहनेवाले के कारण, बल्कि इसलिए कि हमारे प्रति तुम्हारा उत्साह परमेश्वर की दृष्टि में तुम पर प्रकट हो जाए।
यद्यपि मैंने अपने पत्र से तुम्हें दुःख पहुँचाया, फिर भी मुझे उसका पछतावा नहीं। हाँ, पहले तो पछतावा हुआ था—क्योंकि मैं देखता हूँ कि उस पत्र ने तुम्हें दुःख पहुँचाया, भले ही वह थोड़े ही समय के लिए था—
हम उनके साथ अपने भाई को भी भेज रहे हैं जिसको हमने बार-बार परखा है और बहुत सी बातों में उत्साही पाया है और अब तुम पर बहुत भरोसा करने के कारण उसका उत्साह और भी अधिक बढ़ गया है।
प्रभु में मुझे तुम पर भरोसा है कि तुम किसी अन्य विचारधारा को स्वीकार नहीं करोगे; परंतु तुम्हें विचलित करनेवाला चाहे कोई भी हो, वह दंड पाएगा।
हमें प्रभु में तुम पर भरोसा है कि जिन बातों की आज्ञा हम तुम्हें देते हैं तुम उनका पालन करते हो और करते रहोगे।
मैंने तेरे आज्ञाकारी होने का भरोसा करते हुए तुझे लिखा है, और यह जानता हूँ कि जो मैं कहता हूँ तू उससे बढ़कर करेगा।