यद्यपि औरों में से किसी को उनमें सम्मिलित होने का साहस नहीं होता था, फिर भी लोग उनकी बड़ाई करते थे;
2 कुरिन्थियों 10:15 - नवीन हिंदी बाइबल हम मर्यादा से बाहर दूसरों के परिश्रम पर गर्व नहीं करते, परंतु हमारी आशा है कि तुम्हारा विश्वास बढ़ता जाए और तुम्हारे द्वारा हमारा कार्यक्षेत्र और भी फैलता जाए, पवित्र बाइबल अपनी उचित सीमा से बाहर जाकर किसी दूसरे व्यक्ति के काम पर हम गर्व नहीं करते किन्तु हमें आशा है कि तुम्हारा विश्वास जैसे जैसे बढ़ेगा तो वैसे वैसे ही हमारी गतिविधियों के क्षेत्र के साथ तुम्हारे बीच हम भी व्यापक रूप से फैलेंगे। Hindi Holy Bible और हम सीमा से बाहर औरों के परिश्रम पर घमण्ड नहीं करते; परन्तु हमें आशा है, कि ज्यों ज्यों तुम्हारा विश्वास बढ़ता जाएगा त्यों त्यों हम अपनी सीमा के अनुसार तुम्हारे कारण और भी बढ़ते जाएंगे। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) हम अपनी सीमा का उल्लंघन करते हुए दूसरे के परिश्रम पर गर्व नहीं करते, बल्कि हम आशा करते हैं कि ज्यों-ज्यों आप लोगों का विश्वास बढ़ता जाएगा, आप लोगों में हमारे कार्य-क्षेत्र का भी विस्तार होगा पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) हम सीमा से बाहर दूसरों के परिश्रम पर घमण्ड नहीं करते; परन्तु हमें आशा है कि ज्यों–ज्यों तुम्हारा विश्वास बढ़ता जाएगा त्यों–त्यों हम अपनी सीमा के अनुसार तुम्हारे कारण और भी बढ़ते जाएँगे, सरल हिन्दी बाइबल अन्यों द्वारा किए परिश्रम का श्रेय लेकर भी हम इस आशा में सीमा पार नहीं करते कि जैसे जैसे तुम्हारा विश्वास गहरा होता जाता है, तुम्हारे बीच अपनी ही सीमा में हमारा कार्यक्षेत्र और गतिविधियां फैलती जाएं इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और हम सीमा से बाहर औरों के परिश्रम पर घमण्ड नहीं करते; परन्तु हमें आशा है, कि ज्यों-ज्यों तुम्हारा विश्वास बढ़ता जाएगा त्यों-त्यों हम अपनी सीमा के अनुसार तुम्हारे कारण और भी बढ़ते जाएँगे। |
यद्यपि औरों में से किसी को उनमें सम्मिलित होने का साहस नहीं होता था, फिर भी लोग उनकी बड़ाई करते थे;
मैं वहाँ सुसमाचार सुनाने का प्रयत्न करता हूँ जहाँ मसीह का नाम नहीं लिया गया, ताकि मैं दूसरे की नींव पर घर न बनाऊँ,
परंतु हम अपनी मर्यादा से बाहर गर्व नहीं करेंगे, बल्कि अपने कार्यक्षेत्र की उस सीमा के भीतर ही गर्व करेंगे जो परमेश्वर ने हमारे लिए निर्धारित की है, और उसमें तुम भी हो।
हे भाइयो, तुम्हारे विषय में हमें परमेश्वर का सदैव धन्यवाद करना चाहिए, और यह उचित भी है, क्योंकि तुम्हारा विश्वास बढ़ रहा है, और एक दूसरे के प्रति तुम सब का प्रेम भी बढ़ता जा रहा है।