यहोवा मेरे लिए सब कुछ पूरा करेगा। हे यहोवा, तेरी करुणा सदा की है; तू अपने हाथों के कार्यों को न त्याग।
1 पतरस 4:19 - नवीन हिंदी बाइबल इसलिए जो भी परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुःख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए अपने आपको विश्वासयोग्य सृष्टिकर्ता के हाथों में सौंप दें। पवित्र बाइबल तो फिर जो परमेश्वर की इच्छानुसार दुःख उठाते हैं, उन्हें उत्तम कार्य करते हुए, उस विश्वासमय, सृष्टि के रचयिता को अपनी-अपनी आत्माएँ सौंप देनी चाहिए। Hindi Holy Bible इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें॥ पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इसलिए जो लोग परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दु:ख भोगते हैं, वे भलाई करते रहें और विश्वसनीय सृष्टिकर्ता परमेश्वर को अपनी आत्मा सौंप दें। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दु:ख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए अपने–अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें। सरल हिन्दी बाइबल इसलिये वे भी, जो परमेश्वर की इच्छानुसार दुःख सहते हैं, अपनी आत्मा विश्वासयोग्य सृजनहार को सौंप दें, और भले काम करते रहें. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इसलिए जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुःख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने-अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें। |
यहोवा मेरे लिए सब कुछ पूरा करेगा। हे यहोवा, तेरी करुणा सदा की है; तू अपने हाथों के कार्यों को न त्याग।
मैं अपनी आत्मा तेरे हाथ में सौंपता हूँ; हे यहोवा, सत्य के परमेश्वर, तूने मुझे दाम देकर छुड़ा लिया है।
तब यीशु ने ऊँची आवाज़ से पुकारकर कहा,“हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ।” और यह कहकर उसने प्राण त्याग दिया।
वे स्तिफनुस पर पथराव कर रहे थे और वह यह कहकर प्रार्थना करता रहा, “हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर।”
जो धीरज से भला कार्य करते हुए महिमा, आदर और अमरता को खोजते हैं उन्हें अनंत जीवन मिलेगा,
इस कारण मैं ये सब दुःख भी उठाता हूँ, फिर भी लज्जित नहीं होता; क्योंकि मैं उसे जानता हूँ जिस पर मैंने विश्वास किया है, और मैं आश्वस्त हूँ कि वह उस दिन तक मेरी धरोहर की रखवाली करने में समर्थ है।
क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है कि तुम भले कार्य करने के द्वारा अज्ञानता की बातें बोलनेवाले मूर्ख मनुष्यों का मुँह बंद कर दो।
यदि परमेश्वर की इच्छा है कि तुम भलाई करते हुए दुःख उठाओ, तो यह बुराई करके दुःख उठाने से उत्तम है।
जो उस समय आज्ञा न माननेवाले थे, जब परमेश्वर नूह के दिनों में धीरज से प्रतीक्षा कर रहा था और जहाज़ बनाया जा रहा था। उस जहाज़ में थोड़े ही लोग अर्थात् आठ लोग पानी से बचाए गए।