उन्हें छोड़ो; वे अंधों के अंधे मार्गदर्शक हैं; और यदि अंधा ही अंधे का मार्गदर्शन करे, तो दोनों ही गड्ढे में गिर जाएँगे।”
1 तीमुथियुस 1:7 - नवीन हिंदी बाइबल वे व्यवस्था के शिक्षक बनना तो चाहते हैं, परंतु जो वे कहते हैं और जिन बातों की वे दृढ़ता से पुष्टि करते हैं, स्वयं उन्हें समझते भी नहीं। पवित्र बाइबल वे व्यवस्था के विधान के उपदेशक तो बनना चाहते हैं, पर जो कुछ वे कह रहे हैं या जिन बातों पर वे बहुत बल दे रहे हैं, उन तक को वे नहीं समझते। Hindi Holy Bible और व्यवस्थापक तो होना चाहते हैं, पर जो बातें कहते और जिन को दृढ़ता से बोलते हैं, उन को समझते भी नहीं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) वे व्यवस्था के शास्त्री होने का दावा करते हैं, किन्तु वे जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं और जिन विषयों पर इतना बल देते हैं, उन्हें स्वयं नहीं समझते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और व्यवस्थापक तो होना चाहते हैं, पर जो बातें कहते और जिनको दृढ़ता से बोलते हैं, उनको समझते भी नहीं। सरल हिन्दी बाइबल वे व्यवस्था के शिक्षक बनने की अभिलाषा तो करते हैं परंतु वे जो कहते हैं और जिन विषयों का वे दृढ़ विश्वासपूर्वक दावा करते हैं, स्वयं ही उन्हें नहीं समझते. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और व्यवस्थापक तो होना चाहते हैं, पर जो बातें कहते और जिनको दृढ़ता से बोलते हैं, उनको समझते भी नहीं। |
उन्हें छोड़ो; वे अंधों के अंधे मार्गदर्शक हैं; और यदि अंधा ही अंधे का मार्गदर्शन करे, तो दोनों ही गड्ढे में गिर जाएँगे।”
तब उन्होंने यीशु को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते।” उसने भी उनसे कहा,“तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता कि किस अधिकार से ये कार्य करता हूँ।
फिर ऐसा हुआ कि तीन दिन के बाद उन्होंने उसे मंदिर-परिसर में शिक्षकों के बीच बैठे, उनकी बातें सुनते और उनसे प्रश्न करते हुए पाया;
अब कुछ लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे, “यदि मूसा की रीति के अनुसार तुम्हारा ख़तना न हो, तो तुम्हारा उद्धार नहीं हो सकता।”
मैं तुमसे केवल यही जानना चाहता हूँ कि तुमने आत्मा को क्या व्यवस्था के कार्यों से पाया था, या विश्वास सहित सुनने से?
अतः जो तुम्हें आत्मा प्रदान करता है और तुममें सामर्थ्य के कार्य करता है, क्या वह व्यवस्था के कार्यों से ऐसा करता है या तुम्हारे विश्वास सहित सुनने से?
तो वह अभिमानी हो गया है, और कुछ नहीं समझता, बल्कि उसे वाद-विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिससे ईर्ष्या, कलह, निंदा, बुरी-बुरी आशंकाएँ,
हे मेरे भाइयो, तुममें से बहुत लोग शिक्षक न बनें, क्योंकि जानते हो कि हम शिक्षक और कठोर दंड पाएँगे।
ये लोग स्वाभाविक रूप से बुद्धिहीन पशुओं के समान हैं, जो पकड़े जाने और नाश होने के लिए उत्पन्न हुए हैं। वे जिन बातों को समझते भी नहीं उनकी निंदा करते हैं। वे अपनी ही सड़ाहट में नष्ट हो जाएँगे।