ठोकरों के कारण इस संसार पर हाय! ठोकरों का आना तो अवश्य है, परंतु हाय उस मनुष्य पर जिसके कारण ठोकर आती है!
1 कुरिन्थियों 11:19 - नवीन हिंदी बाइबल तुम्हारे बीच दलबंदी भी अवश्य होगी, ताकि तुममें जो खरे हैं, वे प्रकट हो जाएँ। पवित्र बाइबल आखिरकार तुम्हारे बीच मतभेद भी होंगे ही। जिससे कि तुम्हारे बीच में जो उचित ठहराया गया है, वह सामने आ जाये। Hindi Holy Bible क्याकि विधर्म भी तुम में अवश्य होंगे, इसलिये कि जो लागे तुम में खरे निकले हैं, वे प्रगट हो जांए। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) आप लोगों में फूट होना एक प्रकार से अनिवार्य है, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि आप में से कौन लोग खरे हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि दलबन्दी भी तुम में अवश्य होगी, इसलिये कि जो लोग तुम में खरे हैं वे प्रगट हो जाएँ। सरल हिन्दी बाइबल हां, यह सच है कि तुम्हारे बीच बंटवारा होना ज़रूरी भी है कि वे, जो परमेश्वर द्वारा चुने हुए हैं, प्रकाश में आ जाएं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि विधर्म भी तुम में अवश्य होंगे, इसलिए कि जो लोग तुम में खरे निकले हैं, वे प्रगट हो जाएँ। |
ठोकरों के कारण इस संसार पर हाय! ठोकरों का आना तो अवश्य है, परंतु हाय उस मनुष्य पर जिसके कारण ठोकर आती है!
फिर यीशु ने अपने शिष्यों से कहा,“यह असंभव है कि ठोकरें न लगें, परंतु हाय उस पर जिसके कारण वह लगती है।
परंतु फरीसी पंथ में से आए कुछ विश्वासियों ने खड़े होकर कहा, “उनका ख़तना कराना और उन्हें मूसा की व्यवस्था का पालन करने का आदेश देना आवश्यक है।”
और तुम्हारे ही बीच में से कुछ ऐसे लोग उठ खड़े होंगे जो शिष्यों को अपने पीछे खींच लेने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी बातें करेंगे।
परंतु मैं तेरे सामने यह मान लेता हूँ कि जिसे ये कुपंथ कहते हैं, मैं उसी ‘मार्ग’ के अनुसार अपने पूर्वजों के परमेश्वर की सेवा करता हूँ, और उन सब बातों पर विश्वास करता हूँ जो व्यवस्था में और भविष्यवक्ताओं की पुस्तकों में लिखी गई हैं,
क्योंकि हमने पाया है कि यह मनुष्य एक महामारी जैसा है जो संसार के सारे यहूदियों में दंगे भड़काता है और नासरियों के कुपंथ का नेता है।
वे बहुत पहले से मुझे जानते हैं और यदि वे चाहें तो गवाही दे सकते हैं कि मैंने अपने धर्म के सब से कट्टर पंथ के अनुसार फरीसी होकर जीवन बिताया है।
परंतु हम तुझसे सुनना चाहते हैं कि तेरा विचार क्या है, क्योंकि हम जानते हैं कि हर स्थान पर इस पंथ का विरोध किया जाता है।”
मुझे डर है, कहीं ऐसा न हो कि जब मैं तुम्हारे पास आऊँ तो तुम्हें वैसा पाऊँ जैसा मैं नहीं चाहता, और तुम भी मुझे वैसा पाओ जैसा तुम नहीं चाहते; ऐसा न हो कि तुममें झगड़े, ईर्ष्या, क्रोध, स्वार्थ, निंदा, चुगली, अहंकार और उपद्रव हों।
वे हममें से निकले पर हमारे नहीं थे; क्योंकि यदि वे हमारे होते, तो हमारे साथ बने रहते। परंतु वे इसलिए निकले कि यह स्पष्ट हो जाए कि वे सब हमारे नहीं हैं।