जब यहोशू को लोगों का शोरगुल सुनाई दिया, तो उसने मूसा से कहा, “छावनी से युद्ध की आवाज़ सुनाई दे रही है।”
1 कुरिन्थियों 10:7 - नवीन हिंदी बाइबल तुम मूर्तिपूजक न बनो जैसे कि उनमें से कुछ थे; जैसा लिखा है : लोग बैठे तो खाने-पीने के लिए, और उठे तो नाचने-कूदने के लिए। पवित्र बाइबल मूर्ति-पूजक मत बनो, जैसे कि उनमें से कुछ थे। शास्त्र कहता है: “व्यक्ति खाने पीने के लिये बैठा और परस्पर आनन्द मनाने के लिए उठा।” Hindi Holy Bible और न तुम मूरत पूजने वाले बनों; जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उनमें से कुछ लोगों के समान आप मूर्तिपूजक न बनें, जिन के विषय में यह लिखा है, “वे खाने-पीने के लिए बैठे और आनन्द मनाने के लिए उठे।” पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और न तुम मूर्तिपूजक बनो, जैसे कि उनमें से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, “लोग खाने–पीने बैठे, और खेलने–कूदने उठे।” सरल हिन्दी बाइबल न ही तुम मूर्तिपूजक बनो, जैसे उनमें से कुछ थे, जैसा पवित्र शास्त्र का लेख है: वे खाने-पीने बैठ गए और खड़े होकर रंगरेलियां मनाने लगे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और न तुम मूरत पूजनेवाले बनो; जैसे कि उनमें से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, “लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे।” |
जब यहोशू को लोगों का शोरगुल सुनाई दिया, तो उसने मूसा से कहा, “छावनी से युद्ध की आवाज़ सुनाई दे रही है।”
मूसा जैसे ही छावनी के निकट पहुँचा, उसने बछड़े को देखा और यह भी देखा कि लोग नाच रहे थे; इस पर मूसा का क्रोध भड़क उठा, और उसने पटियाओं को पर्वत के पास अपने हाथों से नीचे पटककर तोड़ डाला।
हारून ने उन्हें उनके हाथ से लिया, उसे टाँकी से गढ़ा और उसे एक बछड़े के रूप में ढालकर बनाया। तब लोग कहने लगे, “हे इस्राएल, यही तेरा ईश्वर है जो तुझे मिस्र देश से छुड़ा लाया है।”
बल्कि उन्हें लिख भेजें कि वे मूर्तियों की अशुद्धताओं से, और व्यभिचार से, और गला घोंटे हुए पशुओं के मांस से, और लहू से दूर रहें;
परंतु अब मैं तुम्हें लिखता हूँ कि यदि कोई भाई कहलाकर व्यभिचारी, लोभी, मूर्तिपूजक, गाली देनेवाला, पियक्कड़ या लुटेरा हो, तो उससे संगति न रखना; बल्कि ऐसे मनुष्य के साथ भोजन भी न करना।
या क्या तुम नहीं जानते कि अधर्मी लोग परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी नहीं होंगे? धोखा न खाओ : न व्यभिचारी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न किसी भी प्रकार के समलैंगिक,
परंतु यह ज्ञान सब मनुष्यों को नहीं है। कुछ लोग मूर्तिपूजा के अब तक इतने आदी हो गए हैं कि वे मूर्ति को चढ़ाए गए भोजन को कुछ विशेष समझकर खाते हैं और उनका विवेक निर्बल होने के कारण अशुद्ध हो जाता है।