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सभोपदेशक 8:15 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तब मैंने आनन्द को सराहा, क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिये खाने-पीने और आनन्द करने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि यही उसके जीवन भर जो परमेश्वर उसके लिये सूर्य के नीचे ठहराए, उसके परिश्रम में उसके संग बना रहेगा।

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पवित्र बाइबल

सो मैंने निश्चय किया कि जीवन का आनन्द लेना अधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस जीवन में एक व्यक्ति जो सबसे अच्छी बात कर सकता है वह है खाना, पीना और जीवन का रस लेना। इससे कम से कम व्यक्ति को इस धरती पर उसके जीवन के दौरान परमेश्वर ने करने के लिये जो कठिन काम दिया है उसका आनन्द लेने मे सहायता मिलेगी।

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Hindi Holy Bible

तब मैं ने आनन्द को सराहा, क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिये खाने-पीने और आनन्द करने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि यही उसके जीवन भर जो परमेश्वर उसके लिये धरती पर ठहराए, उसके परिश्रम में उसके संग बना रहेगा॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

इसलिए मैं लोगों को सलाह देता हूं: आनन्‍द मनाओ। सूर्य के नीचे धरती पर मनुष्‍य के लिए खाने-पीने और आनन्‍द मनाने के अतिरिक्‍त और कुछ भी अच्‍छा नहीं है। जो आयु परमेश्‍वर ने उसे इस धरती पर प्रदान की है, उसके परिश्रम में यही आनन्‍द विद्यमान रहेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तब मैं ने आनन्द को सराहा, क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिये खाने–पीने और आनन्द करने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि यही उसके जीवन भर जो परमेश्‍वर उसके लिये धरती पर ठहराए, उसके परिश्रम में उसके संग बना रहेगा।

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नवीन हिंदी बाइबल

तब मैंने सुख-विलास को सराहा, क्योंकि संसार में मनुष्य के लिए खाने-पीने और आनंद मनाने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि परमेश्‍वर ने उसे इस संसार में जितने दिन दिए हैं, उतने दिन उसके परिश्रम में यह आनंद उसके साथ रहेगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

सो मैं आनंद की तारीफ़ करता हूं, सूरज के नीचे मनुष्य के लिए इससे अच्छा कुछ नहीं है कि वह खाए-पिए और खुश रहे क्योंकि सूरज के नीचे परमेश्वर द्वारा दिए गए उसके जीवन भर में उसकी मेहनत के साथ यह हमेशा रहेगा.

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सभोपदेशक 8:15
11 क्रॉस रेफरेंस  

तो भी दिन को यहोवा अपनी शक्ति और करुणा प्रगट करेगा; और रात को भी मैं उसका गीत गाऊँगा, और अपने जीवनदाता परमेश्वर से प्रार्थना करूँगा।


मैंने अपने मन से कहा, “चल, मैं तुझको आनन्द के द्वारा जाँचूँगा; इसलिए आनन्दित और मगन हो।” परन्तु देखो, यह भी व्यर्थ है।


और जितनी वस्तुओं को देखने की मैंने लालसा की, उन सभी को देखने से मैं न रुका; मैंने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही भाग मिला।


मनुष्य के लिये खाने-पीने और परिश्रम करते हुए अपने जीव को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं। मैंने देखा कि यह भी परमेश्वर की ओर से मिलता है।


मैंने मन में सोचा कि किस प्रकार से मेरी बुद्धि बनी रहे और मैं अपने प्राण को दाखमधु पीने से किस प्रकार बहलाऊँ और कैसे मूर्खता को थामे रहूँ, जब तक मालूम न करूँ कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य अपने जीवन भर करता रहे।


अतः मैंने यह देखा कि इससे अधिक कुछ अच्छा नहीं कि मनुष्य अपने कामों में आनन्दित रहे, क्योंकि उसका भाग यही है; कौन उसके पीछे होनेवाली बातों को देखने के लिये उसको लौटा लाएगा?


सुन, जो भली बात मैंने देखी है, वरन् जो उचित है, वह यह कि मनुष्य खाए और पीए और अपने परिश्रम से जो वह सूर्य के नीचे करता है, अपनी सारी आयु भर जो परमेश्वर ने उसे दी है, सुखी रहे क्योंकि उसका भाग यही है।


इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे कि वे अभिमानी न हों और अनिश्चित धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है। (भज. 62:10)