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व्यवस्थाविवरण 19:15 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

“किसी मनुष्य के विरुद्ध किसी प्रकार के अधर्म या पाप के विषय में, चाहे उसका पाप कैसा ही क्यों न हो, एक ही जन की साक्षी न सुनना, परन्तु दो या तीन साक्षियों के कहने से बात पक्की ठहरे। (मत्ती 18:16)

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पवित्र बाइबल

“यदि किसी व्यक्ति पर नियम के खिलाफ कुछ करने का मुकदमा हो तो एक गवाह इसे प्रमाण करने के लिए काफी नहीं होगा कि वह दोषी है। उसने निश्चय ही बुरा किया है इसे प्रमाणित करने के लिए दो या तीन गवाह होने चाहिए।

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Hindi Holy Bible

किसी मनुष्य के विरुद्ध किसी प्रकार के अधर्म वा पाप के विषय में, चाहे उसका पाप कैसा ही क्यों न हो, एक ही जन की साक्षी न सुनना, परन्तु दो वा तीन साक्षीयों के कहने से बात पक्की ठहरे।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

‘किसी मनुष्‍य के विरुद्ध उसके कुकर्म अथवा पाप के विषय में, चाहे उसने किसी भी प्रकार का पाप क्‍यों न किया हो, केवल एक व्यक्‍ति की गवाही प्रमाणित नहीं मानी जाएगी, वरन् दो या तीन व्यक्‍तियों की गवाही के आधार पर अभियोग प्रमाणित माना जाएगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

“किसी मनुष्य के विरुद्ध किसी प्रकार के अधर्म या पाप के विषय में, चाहे उसका पाप कैसा भी क्यों न हो, एक ही जन की साक्षी न सुनना, परन्तु दो या तीन साक्षियों के कहने से बात पक्‍की ठहरे।

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सरल हिन्दी बाइबल

किसी व्यक्ति द्वारा किए गए किसी भी पाप के काम या पाप के बारे में सिर्फ एक व्यक्ति का गवाह होना स्वीकार नहीं हो सकता; एक बात की पुष्टि के लिए दो या तीन गवाहों की ज़रूरत होती है.

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व्यवस्थाविवरण 19:15
12 क्रॉस रेफरेंस  

तब दो नीच जनों को उसके सामने बैठाना जो साक्षी देकर उससे कहें, ‘तूने परमेश्वर और राजा दोनों की निन्दा की।’ तब तुम लोग उसे बाहर ले जाकर उसको पथरवाह करना, कि वह मर जाए।”


तब दो नीच जन आकर उसके सम्मुख बैठ गए; और उन नीच जनों ने लोगों के सामने नाबोत के विरुद्ध यह साक्षी दी, “नाबोत ने परमेश्वर और राजा दोनों की निन्दा की।” इस पर उन्होंने उसे नगर से बाहर ले जाकर उसको पथरवाह किया, और वह मर गया।


और जो कोई किसी मनुष्य को मार डाले वह साक्षियों के कहने पर मार डाला जाए, परन्तु एक ही साक्षी की साक्षी से कोई न मार डाला जाए। (व्यव. 17:6, मत्ती 18:16)


और यदि वह न सुने, तो और एक दो जन को अपने साथ ले जा, कि हर एक बात दो या तीन गवाहों के मुँह से ठहराई जाए।


“क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को जब तक पहले उसकी सुनकर जान न ले कि वह क्या करता है; दोषी ठहराती है?”


और तुम्हारी व्यवस्था में भी लिखा है; कि दो जनों की गवाही मिलकर ठीक होती है।


अब तीसरी बार तुम्हारे पास आता हूँ: दो या तीन गवाहों के मुँह से हर एक बात ठहराई जाएगी। (व्यव. 19:15)


जो प्राणदण्ड के योग्य ठहरे वह एक ही की साक्षी से न मार डाला जाए, किन्तु दो या तीन मनुष्यों की साक्षी से मार डाला जाए। (यूह. 8:17, 1 तीमु. 5:19, इब्रा. 10:28)


कोई दोष किसी प्राचीन पर लगाया जाए तो बिना दो या तीन गवाहों के उसको स्वीकार न करना। (व्यव. 17:6, व्यव. 19:15)


जबकि मूसा की व्यवस्था का न माननेवाला दो या तीन जनों की गवाही पर, बिना दया के मार डाला जाता है। (व्यव. 17:6, व्यव. 19:15)