फिर परमेश्वर ने कहा, “जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।”
लैव्यव्यवस्था 11:29 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “और जो पृथ्वी पर रेंगते हैं उनमें से ये रेंगनेवाले तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं, अर्थात् नेवला, चूहा, और भाँति-भाँति के गोह, पवित्र बाइबल “ये रेंगने वाले जानवर तुम्हारे लिए घिनौने हैं: छछून्दर, चूहा, सभी प्रकार के बड़े गिरगिट, Hindi Holy Bible और जो पृथ्वी पर रेंगते हैं उन में से ये रेंगने वाले तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं, अर्थात नेवला, चूहा, और भांति भांति के गोह, पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘भूमि पर रेंगने वाले जन्तुओं में से ये जन्तु तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं : नेवला, चूहा, सब प्रकार की गोह, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “जो पृथ्वी पर रेंगते हैं उनमें से ये रेंगनेवाले तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं, अर्थात् नेवला, चूहा, और भाँति भाँति के गोह, नवीन हिंदी बाइबल “पृथ्वी पर रेंगनेवाले जंतुओं में से ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं : नेवला, चूहा, और सब प्रकार के गोह, सरल हिन्दी बाइबल “ ‘भूमि पर जो जंतु रेंगते हैं, वे तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं. वे ये है: छछूंदर, चूहा, सभी प्रकार की गोह, |
फिर परमेश्वर ने कहा, “जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।”
क्योंकि दुष्ट अपनी अभिलाषा पर घमण्ड करता है, और लोभी यहोवा को त्याग देता है और उसका तिरस्कार करता है।
“जो लोग अपने को इसलिए पवित्र और शुद्ध करते हैं कि बारियों में जाएँ और किसी के पीछे खड़े होकर सूअर या चूहे का माँस और अन्य घृणित वस्तुएँ खाते हैं, वे एक ही संग नाश हो जाएँगे, यहोवा की यही वाणी है।
और जो कोई उनकी लोथ उठाए वह अपने वस्त्र धोए और साँझ तक अशुद्ध रहे; क्योंकि वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।
क्योंकि सेनाओं का यहोवा यह कहता है, अब थोड़ी ही देर बाकी है कि मैं आकाश और पृथ्वी और समुद्र और स्थल सब को कँपित करूँगा। (मत्ती 24:29, लूका 21:26, इब्रा. 12:26,27)
और उसने उनसे कहा, “सावधान रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आपको बचाए रखो; क्योंकि किसी का जीवन उसकी सम्पत्ति की बहुतायत से नहीं होता।”
यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, तुम मुझे इसलिए नहीं ढूँढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिए कि तुम रोटियाँ खाकर तृप्त हुए।
ताकि हम आगे को बालक न रहें, जो मनुष्यों की ठग-विद्या और चतुराई से उनके भ्रम की युक्तियों की, और उपदेश की, हर एक वायु से उछाले, और इधर-उधर घुमाए जाते हों।
उनका अन्त विनाश है, उनका ईश्वर पेट है, वे अपनी लज्जा की बातों पर घमण्ड करते हैं, और पृथ्वी की वस्तुओं पर मन लगाए रहते हैं।
इसलिए अपने उन अंगों को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्तिपूजा के बराबर है।
तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, “मैं तुझे कभी न छोड़ूँगा, और न कभी तुझे त्यागूँगा।” (भज. 37:25, व्यव. 31:8, यहो. 1:5)