वे बल पर बल पाते जाते हैं; उनमें से हर एक जन सिय्योन में परमेश्वर को अपना मुँह दिखाएगा।
रोमियों 3:3 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यदि कुछ विश्वासघाती निकले भी तो क्या हुआ? क्या उनके विश्वासघाती होने से परमेश्वर की सच्चाई व्यर्थ ठहरेगी? पवित्र बाइबल यदि उनमें से कुछ विश्वासघाती हो भी गये तो क्या है? क्या उनका विश्वासघातीपन परमेश्वर की विश्वासपूर्णता को बेकार कर देगा? Hindi Holy Bible यदि कितने विश्वसघाती निकले भी तो क्या हुआ? क्या उनके विश्वासघाती होने से परमेश्वर की सच्चाई व्यर्थ ठहरेगी? पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यदि यहूदियों में कुछ अविश्वासी निकले, तो क्या हुआ? क्या उनका अविश्वास परमेश्वर की विश्वसनीयता नष्ट कर देगा? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यदि कुछ विश्वासघाती निकले भी तो क्या हुआ? क्या उनके विश्वासघाती होने से परमेश्वर की सच्चाई व्यर्थ ठहरेगी? नवीन हिंदी बाइबल यदि कुछ लोगों ने विश्वास नहीं भी किया तो क्या हुआ? क्या उनका अविश्वास परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को व्यर्थ ठहराएगा? सरल हिन्दी बाइबल इससे क्या अंतर पड़ता है कि कुछ ने विश्वास नहीं किया. क्या उनका अविश्वास परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को समाप्त कर देता है? नहीं! बिलकुल नहीं! |
वे बल पर बल पाते जाते हैं; उनमें से हर एक जन सिय्योन में परमेश्वर को अपना मुँह दिखाएगा।
उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैंने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
परमेश्वर मनुष्य नहीं कि झूठ बोले, और न वह आदमी है कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उसे पूरा न करे? (रोम. 9:6, 2 तीमु. 2:13)
परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया। यशायाह कहता है, “हे प्रभु, किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है?” (यशा. 53:1)
परन्तु यह नहीं, कि परमेश्वर का वचन टल गया, इसलिए कि जो इस्राएल के वंश हैं, वे सब इस्राएली नहीं;
परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश-अंश करके बदलते जाते हैं।
हे भाइयों, तुम्हारे विषय में हमें हर समय परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, और यह उचित भी है इसलिए कि तुम्हारा विश्वास बहुत बढ़ता जाता है, और आपस में तुम सब में प्रेम बहुत ही बढ़ता जाता है।
यदि हम विश्वासघाती भी हों तो भी वह विश्वासयोग्य बना रहता है, क्योंकि वह आप अपना इन्कार नहीं कर सकता। (1 थिस्स. 5:24)
क्योंकि हमें उन्हीं के समान सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुननेवालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा।
और जो इस्राएल का बलमूल है वह न तो झूठ बोलता और न पछताता है; क्योंकि वह मनुष्य नहीं है, कि पछताए।” (इब्रा. 6:18)