यिर्मयाह 10:5 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019
वे ककड़ी के खेत में खड़े पुतले के समान हैं, पर वे बोल नहीं सकतीं; उन्हें उठाए फिरना पड़ता है, क्योंकि वे चल नहीं सकतीं। उनसे मत डरो, क्योंकि, न तो वे कुछ बुरा कर सकती हैं और न कुछ भला।”
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अन्य देशों की देव मूर्तियों, ककड़ी के खेत में खड़े फूस के पुतले के समान हैं। वे न बोल सकती हैं, और न चल सकती हैं। उन्हें उठा कर ले जाना पड़ता है क्योंकि वे चल नहीं सकते। उनसे मत डरो। वे न तो तुमको चोट पहुँचा सकती हैं और न ही कोई लाभ!”
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वे खरादकर ताड़ के पेड़ के समान गोल बनाईं जाती हैं, पर बोल नहीं सकतीं; उन्हें उठाए फिरना पड़ता है, क्योंकि वे चल नहीं सकतीं। उन से मत डरो, क्योंकि, न तो वे कुछ बुरा कर सकती हैं और न कुछ भला।
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उनकी ये मूर्तियां ककड़ी के खेत में खड़े फूस के पुतले के समान हैं; वे न बोल सकती हैं, और न चल ही सकती हैं। अत: उनको लाद कर ले जाते हैं। उनसे मत डरो, वे न तो तुम्हारा अनिष्ट कर सकती हैं, और न उनमें भलाई करने का सामर्थ्य ही है।’
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वे ककड़ी के खेत में खड़े पुतले के समान हैं, पर वे बोल नहीं सकतीं; उन्हें उठाए फिरना पड़ता है, क्योंकि वे चल नहीं सकतीं। उनसे मत डरो, क्योंकि न तो वे कुछ बुरा कर सकती हैं और न कुछ भला।”
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उनकी प्रतिमाएं ककड़ी के खेत में खड़े किए गए बिजूखा सदृश हैं, जो बात नहीं कर सकतीं; उन्हें तो उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है क्योंकि वे तो चल ही नहीं सकतीं. मत डरो उनसे; वे कोई हानि नहीं कर सकतीं वस्तुतः वे तो कोई कल्याण भी नहीं कर सकतीं.”
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