भजन संहिता 22:6 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019
परन्तु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं; मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों में मेरा अपमान होता है।
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तो क्या मैं सचमुच ही कोई कीड़ा हूँ, जो लोग मुझसे लज्जित हुआ करते हैं और मुझसे घृणा करते हैं
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परन्तु मैं तो कीड़ा हूं, मनुष्य नहीं; मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों में मेरा अपमान होता है।
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परन्तु मैं मनुष्य नहीं, कीड़ा हूँ; मनुष्यों द्वारा उपेिक्षत, लोगों द्वारा तिरस्कृत।
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परन्तु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं; मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों में मेरा अपमान होता है।
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परंतु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं; मैं तो मनुष्यों में निंदित और लोगों द्वारा तिरस्कृत हूँ।
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अब मैं मनुष्य नहीं, कीड़ा मात्र रह गया हूं, मनुष्यों के लिए लज्जित, जनसाधारण के लिए अपमानित.
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