दानिय्येल 7:10 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019
उस प्राचीन के सम्मुख से आग की धारा निकलकर बह रही थी; फिर हजारों हजार लोग उसकी सेवा टहल कर रहे थे, और लाखों-लाख लोग उसके सामने हाजिर थे; फिर न्यायी बैठ गए, और पुस्तकें खोली गईं। (प्रका. 20:11, 12)
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सनातन राजा के सामने एक आग की नदी बह रही थी। लाखों करोड़ों लोग उसकी सेवा में थे। उसके सामने करोड़ों दास खड़े थे। यह दृश्य कुछ वैसा ही था जैसे दरबार शुरू होने को पुस्तकें खोली गयी हों।
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उस प्राचीन के सम्मुख से आग की धारा निकल कर बह रही थी; फिर हजारोंहजार लोग उसकी सेवा टहल कर रहे थे, और लाखों लाख लोग उसके साम्हने हाजिर थे; फिर न्यायी बैठ गए, और पुस्तकें खोली गईं।
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उसके सामने से अग्नि-ज्वाला निकल रही थी, उसके सम्मुख लपटें निकल रही थीं। हजारों-हजार सेवक उसकी परिचर्या कर रहे थे; और लाखों-लाख लोग उसके सम्मुख हाथ-जोड़े खड़े थे। न्याय करने के लिए दरबार लगा था; और संविधान के ग्रंथ खुले थे।
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उस प्राचीन के सम्मुख से आग की धारा निकलकर बह रही थी; फिर हज़ारों हज़ार लोग उसकी सेवा टहल कर रहे थे, और लाखों लाख लोग उसके सामने हाजिर थे; फिर न्यायी बैठ गए, और पुस्तकें खोली गईं।
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उसके सामने से एक आग का दरिया निकलकर बह रहा था. हजारों हजार लोग उसकी सेवा में लगे थे; लाखों लोग उसके सामने खड़े थे. तब न्यायाधीश बैठ गये, और पुस्तकें खोली गईं.
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