उसने ऊँचे स्थान गिरा दिए, लाठों को तोड़ दिया, अशेरा को काट डाला। पीतल का जो साँप मूसा ने बनाया था, उसको उसने इस कारण चूर चूरकर दिया, कि उन दिनों तक इस्राएली उसके लिये धूप जलाते थे; और उसने उसका नाम नहुशतान रखा।
गिनती 21:9 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 अतः मूसा ने पीतल का एक साँप बनवाकर खम्भे पर लटकाया; तब साँप के डसे हुओं में से जिस-जिसने उस पीतल के साँप की ओर देखा वह जीवित बच गया। (यूह. 3:14) पवित्र बाइबल इसलिए मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी और एक काँसे का साँप बनाया तथा उसे एक डंडे के ऊपर रखा। तब जब किसी व्यक्ति को साँप काटता था तो वह डंडे के ऊपर के साँप को देखता था और जीवित रहता था। Hindi Holy Bible सो मूसा ने पीतल को एक सांप बनवाकर खम्भे पर लटकाया; तब सांप के डसे हुओं में से जिस जिसने उस पीतल के सांप को देखा वह जीवित बच गया। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अत: मूसा ने पीतल का एक सर्प बनाया और उसको एक खम्भे पर लटका दिया। यदि आग्नेय सर्प किसी मनुष्य को काटता था तो वह पीतल के सर्प को देखता और बच जाता था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) अत: मूसा ने पीतल का एक साँप बनवाकर खम्भे पर लटकाया; तब साँप के डसे हुओं में से जिस जिस ने उस पीतल के साँप की ओर देखा वह जीवित बच गया। सरल हिन्दी बाइबल मोशेह ने सांप की प्रतिमा गढ़ कर एक खंभे पर खड़ी कर दी. तब यह होने लगा कि यदि कोई सांप का डसा हुआ व्यक्ति आकर उस कांसे के सांप की ओर देख लेता था, तो मृत्यु से बच जाता था. |
उसने ऊँचे स्थान गिरा दिए, लाठों को तोड़ दिया, अशेरा को काट डाला। पीतल का जो साँप मूसा ने बनाया था, उसको उसने इस कारण चूर चूरकर दिया, कि उन दिनों तक इस्राएली उसके लिये धूप जलाते थे; और उसने उसका नाम नहुशतान रखा।
“हे पृथ्वी के दूर-दूर के देश के रहनेवालों, तुम मेरी ओर फिरो और उद्धार पाओ! क्योंकि मैं ही परमेश्वर हूँ और दूसरा कोई नहीं है।
“मैं दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों पर अपना अनुग्रह करनेवाली और प्रार्थना सिखानेवाली आत्मा उण्डेलूँगा, तब वे मुझे ताकेंगे अर्थात् जिसे उन्होंने बेधा है, और उसके लिये ऐसे रोएँगे जैसे एकलौते पुत्र के लिये रोते-पीटते हैं, और ऐसा भारी शोक करेंगे, जैसा पहलौठे के लिये करते हैं। (यूह. 19:37, मत्ती 24:30, प्रका. 1:7)
दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप हरता है। (1 पत. 1:19, यशा. 53:7)
क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँगा।”
क्योंकि उसमें परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, “विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।” (हब. 2:4, गला. 3:11)
क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल होकर न कर सकी, उसको परमेश्वर ने किया, अर्थात् अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी।
जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उसमें होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएँ।
और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुःख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। (1 पत. 2:23,24, तीतु. 2:13,14)
जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है। परमेश्वर का पुत्र इसलिए प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।