तब यूसुफ ने आज्ञा दी, कि उनके बोरे अन्न से भरो और एक-एक जन के बोरे में उसके रुपये को भी रख दो, फिर उनको मार्ग के लिये भोजनवस्तु दो। अतः उनके साथ ऐसा ही किया गया।
उत्पत्ति 43:12 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 फिर अपने-अपने साथ दूना रुपया ले जाओ; और जो रुपया तुम्हारे बोरों के मुँह पर रखकर लौटा दिया गया था, उसको भी लेते जाओ; कदाचित् यह भूल से हुआ हो। पवित्र बाइबल इस समय, पहले से दुगुना धन भी ले लो जो पिछली बार देने के बाद लौटा दिया गया था। संभव है कि प्रशासक से गलती हुई हो। Hindi Holy Bible फिर अपने अपने साथ दूना रूपया ले जाओ; और जो रूपया तुम्हारे बोरों के मुंह पर रखकर फेर दिया गया था, उसको भी लेते जाओ; कदाचित यह भूल से हुआ हो। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अपने हाथों में दुगुनी रकम लेते जाओ। जो रुपया तुम्हारे बोरों में लौट आया था, उसे अपने साथ वापस ले जाना। सम्भवत: यह उनकी असावधानी है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) फिर अपने अपने साथ दूना रुपया ले जाओ; और जो रुपया तुम्हारे बोरों के मुँह पर रखकर लौटा दिया गया था, उसको भी लेते जाओ; कदाचित् यह भूल से हुआ हो। नवीन हिंदी बाइबल अपने साथ दुगुना रुपया ले जाओ, और जो रुपया तुम्हारे बोरों के मुँह पर रखकर लौटा दिया गया था, उसे भी लेते जाओ; हो सकता है कि यह भूल से हुआ हो। सरल हिन्दी बाइबल दो गुणा रुपया भी ले जाओ और जो रुपया तुम्हारे बोरे में वहां से आया था वह भी वापस कर देना, शायद भूल हो गई होगी. |
तब यूसुफ ने आज्ञा दी, कि उनके बोरे अन्न से भरो और एक-एक जन के बोरे में उसके रुपये को भी रख दो, फिर उनको मार्ग के लिये भोजनवस्तु दो। अतः उनके साथ ऐसा ही किया गया।
यह कहकर वे अपने-अपने बोरे से अन्न निकालने लगे, तब, क्या देखा, कि एक-एक जन के रुपये की थैली उसी के बोरे में रखी है। तब रुपये की थैलियों को देखकर वे और उनका पिता बहुत डर गए।
तब हमने सराय में पहुँचकर अपने बोरों को खोला, तो क्या देखा, कि एक-एक जन का पूरा-पूरा रुपया उसके बोरे के मुँह पर रखा है; इसलिए हम उसको अपने साथ फिर लेते आए हैं।
और दूसरा रुपया भी भोजनवस्तु मोल लेने के लिये लाए हैं; हम नहीं जानते कि हमारा रुपया हमारे बोरों में किसने रख दिया था।”
बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उनकी चिन्ता किया करो।
आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।
क्योंकि जो बातें केवल प्रभु ही के निकट नहीं, परन्तु मनुष्यों के निकट भी भली हैं हम उनकी चिन्ता करते हैं।
इसलिए, हे भाइयों, जो-जो बातें सत्य हैं, और जो-जो बातें आदरणीय हैं, और जो-जो बातें उचित हैं, और जो-जो बातें पवित्र हैं, और जो-जो बातें सुहावनी हैं, और जो-जो बातें मनभावनी हैं, अर्थात्, जो भी सद्गुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।
कि इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दाँव चलाए, क्योंकि प्रभु इस सब बातों का पलटा लेनेवाला है; जैसा कि हमने पहले तुम से कहा, और चिताया भी था। (भज. 94:1)