नूह के पुत्र शेम, हाम और येपेत थे; उनके पुत्र जल-प्रलय के पश्चात् उत्पन्न हुए: उनकी वंशावली यह है।
उत्पत्ति 10:32 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 नूह के पुत्रों के घराने ये ही है: और उनकी जातियों के अनुसार उनकी वंशावलियाँ ये ही हैं; और जल-प्रलय के पश्चात् पृथ्वी भर की जातियाँ इन्हीं में से होकर बँट गईं। पवित्र बाइबल नूह के पुत्रों से चलने वाले परिवारों की यह सूची है। वे अपने—अपने राष्ट्रो में बँटकर रहते थे। बाढ़ के बाद सारी पृथ्वी पर फैलने वाले लोग इन्हीं परिवारों से निकले। Hindi Holy Bible नूह के पुत्रों के घराने ये ही हैं: और उनकी जातियों के अनुसार उनकी वंशावलियां ये ही हैं; और जलप्रलय के पश्चात पृथ्वी भर की जातियां इन्हीं में से हो कर बंट गई॥ पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ये ही अपनी विभिन्न वंशावलियों और जातियों के अनुसार नूह के पुत्रों के वंशज थे। इन्हीं से जल-प्रलय के पश्चात् जातियाँ निकलकर पृथ्वी में फैल गईं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) नूह के पुत्रों के घराने ये ही हैं : और उनकी जातियों के अनुसार उनकी वंशावलियाँ ये ही हैं; और जल–प्रलय के पश्चात् पृथ्वी भर की जातियाँ इन्हीं में से होकर बँट गईं। नवीन हिंदी बाइबल अपनी-अपनी वंशावलियों और जातियों के अनुसार नूह के पुत्रों के कुल यही हैं; और जलप्रलय के बाद इन्हीं में से सब जातियाँ निकलीं और पृथ्वी भर में फैल गईं। सरल हिन्दी बाइबल अपनी-अपनी संतान और जाति के अनुसार, ये नोहा के बेटों के वंशज हैं. जलप्रलय के बाद, जाति-जाति के लोग इनसे निकलकर पृथ्वी में फैल गए. |
नूह के पुत्र शेम, हाम और येपेत थे; उनके पुत्र जल-प्रलय के पश्चात् उत्पन्न हुए: उनकी वंशावली यह है।
हाम के वंश में ये ही हुए; और ये भिन्न-भिन्न कुलों, भाषाओं, देशों, और जातियों के अनुसार अलग-अलग हो गए।
और एबेर के दो पुत्र उत्पन्न हुए, एक का नाम पेलेग इस कारण रखा गया कि उसके दिनों में पृथ्वी बँट गई, और उसके भाई का नाम योक्तान था।
शेम के पुत्र ये ही हुए; और ये भिन्न-भिन्न कुलों, भाषाओं, देशों और जातियों के अनुसार अलग-अलग हो गए।
इनके वंश अन्यजातियों के द्वीपों के देशों में ऐसे बँट गए कि वे भिन्न-भिन्न भाषाओं, कुलों, और जातियों के अनुसार अलग-अलग हो गए।
फिर परमेश्वर ने नूह और उसके पुत्रों को आशीष दी और उनसे कहा, “फूलो-फलो और बढ़ो और पृथ्वी में भर जाओ।
उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियाँ सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाई हैं; और उनके ठहराए हुए समय और निवास के सीमाओं को इसलिए बाँधा है, (व्यव. 32:8)