2 इतिहास 26:15 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019
फिर उसने यरूशलेम में गुम्मटों और कंगूरों पर रखने को चतुर पुरुषों के निकाले हुए यन्त्र भी बनवाए जिनके द्वारा तीर और बड़े-बड़े पत्थर फेंके जाते थे। उसकी कीर्ति दूर-दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अद्भुत सहायता यहाँ तक मिली कि वह सामर्थी हो गया।
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यरूशलेम में उज्जिय्याह ने जो यन्त्र बनाए वह बुद्धिमानों के अविष्कार थे। वे यन्त्र मीनारों तथा कोने की दीवारों पर रखे गए थे। ये यन्त्र बाण और बड़े पत्थर फेंकते थे। उज्जिय्याह प्रसिद्ध हो गया। लोग उसका नाम दूर—दूर के देशों में जानते थे। उसके पास बड़ी सहायता थी और वह शक्तिशाली राजा हो गया।
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फिर उसने यरूशलेम में गुम्मटों और कंगूरों पर रखने को चतुर पुरुषों के निकाले हुए यन्त्र भी बनवाए जिनके द्वारा तीर और बड़े बड़े पत्थर फेंके जाते थे। और उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अदभुत सहायता यहां तक मिली कि वह सामथीं हो गया।
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यरूशलेम में उसने पत्थर तथा तीर फेंकने वाले यन्त्र बनवाए थे। इन यन्त्रों का आविष्कार उसके कुशल सेवकों ने किया था। ये यन्त्र यरूशलेम की मीनार तथा शहरपनाह के मोड़ की गुम्मट में रखे गए थे। राजा उज्जियाह को प्रभु परमेश्वर की अद्भुत सहायता प्राप्त हुई थी। अत: वह शक्तिशाली बन गया, और दूर-दूर के देशों तक उसकी कीर्ति फैल गई।
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फिर उसने यरूशलेम में गुम्मटों और कंगूरों पर रखने को चतुर पुरुषों के निकाले हुए यंत्र भी बनवाए जिनके द्वारा तीर और बड़े बड़े पत्थर फेंके जाते थे। उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अद्भुत सहायता यहाँ तक मिली कि वह सामर्थी हो गया।
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कुशल शिल्पियों द्वारा आविष्कार किए गए यंत्र और उपकरण उसने येरूशलेम में रखवा रखे थे. ये यंत्र पहरेदारों के मीनारों और शहरपनाह के कोनों पर बाण छोड़ने और बड़े-बड़े पत्थर फेंकने के लिए बनाए गए थे. इनके कारण उसकी ख्याति दूर-दूर तक पहुंच चुकी थी. जब तक उसमें शक्ति रही उसे अद्धुत रूप से सहायता मिलती रही.
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