जब इसहाक बूढ़ा हो गया, और उसकी आँखें ऐसी धुंधली पड़ गईं कि उसको सूझता न था, तब उसने अपने जेठे पुत्र एसाव को बुलाकर कहा, “हे मेरे पुत्र,” उसने कहा, “क्या आज्ञा।”
1 राजाओं 14:4 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यारोबाम की स्त्री ने वैसा ही किया, और चलकर शीलो को पहुँची और अहिय्याह के घर पर आई: अहिय्याह को तो कुछ सूझ न पड़ता था, क्योंकि बुढ़ापे के कारण उसकी आँखें धुन्धली पड़ गई थीं। पवित्र बाइबल इसलिये राजा की पत्नी ने वह किया जो उसने कहा। वह शीलो गई। वह अहिय्याह नबी के घर गई। अहिय्याह बहुत बूढ़ा और अन्धा हो गया था। Hindi Holy Bible यारोबाम की स्त्री ने वैसा ही किया, और चलकर शीलो को पहुंची और अहिय्याह के घर पर आई: अहिय्याह को तो कुछ सूझ न पड़ता था, क्योंकि बुढ़ापे के कारण उसकी आंखें धुन्धली पड़ गई थीं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यारोबआम की पत्नी ने ऐसा ही किया। वह तैयार हुई और शिलोह नगर को गई। उसने अहियाह के घर में प्रवेश किया। आयु अधिक हो जाने के कारण अहियाह की आंखों की ज्योति मन्द पड़ गई थी। अब अहियाह देख नहीं सकता था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यारोबाम की स्त्री ने वैसा ही किया, और चलकर शीलो को पहुँची और अहिय्याह के घर पर आई : अहिय्याह को तो कुछ सूझ न पड़ता था, क्योंकि बुढ़ापे के कारण उसकी आँखें धुँधली पड़ गई थीं। सरल हिन्दी बाइबल यरोबोअम की पत्नी ने ऐसा ही किया. वह तैयार हो शीलो नगर में अहीयाह के घर पर जा पहुंची. बूढ़ा होने के कारण अहीयाह की नज़रें धुंधली पड़ चुकी थी, और वह देख नहीं सकता था. |
जब इसहाक बूढ़ा हो गया, और उसकी आँखें ऐसी धुंधली पड़ गईं कि उसको सूझता न था, तब उसने अपने जेठे पुत्र एसाव को बुलाकर कहा, “हे मेरे पुत्र,” उसने कहा, “क्या आज्ञा।”
इस्राएल की आँखें बुढ़ापे के कारण धुन्धली हो गई थीं, यहाँ तक कि उसे कम सूझता था। तब यूसुफ उन्हें उसके पास ले गया; और उसने उन्हें चूमकर गले लगा लिया।
उन्हीं दिनों में यारोबाम यरूशलेम से निकलकर जा रहा था, कि शीलोवासी अहिय्याह नबी, नई चद्दर ओढ़े हुए मार्ग पर उससे मिला; और केवल वे ही दोनों मैदान में थे।
तब यारोबाम ने अपनी स्त्री से कहा, “ऐसा भेष बना कि कोई तुझे पहचान न सके कि यह यारोबाम की स्त्री है, और शीलो को चली जा, वहाँ अहिय्याह नबी रहता है जिसने मुझसे कहा था ‘तू इस प्रजा का राजा हो जाएगा।’
हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष भी हो जाएँ, तो भी उनका घमण्ड केवल कष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।
उस समय घर के पहरुए काँपेंगे, और बलवन्त झुक जाएँगे, और पिसनहारियाँ थोड़ी रहने के कारण काम छोड़ देंगी, और झरोखों में से देखनेवालियाँ अंधी हो जाएँगी,
मूसा अपनी मृत्यु के समय एक सौ बीस वर्ष का था; परन्तु न तो उसकी आँखें धुँधली पड़ीं, और न उसका पौरूष घटा था।
फिर इस्राएलियों की सारी मण्डली ने शीलो में इकट्ठी होकर वहाँ मिलापवाले तम्बू को खड़ा किया; क्योंकि देश उनके वश में आ गया था। (प्रेरि. 7:45)
और उस समय ऐसा हुआ कि (एली की आँखें तो धुँधली होने लगी थीं और उसे न सूझ पड़ता था) जब वह अपने स्थान में लेटा हुआ था,