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1 तीमुथियुस 1:7 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

और व्यवस्थापक तो होना चाहते हैं, पर जो बातें कहते और जिनको दृढ़ता से बोलते हैं, उनको समझते भी नहीं।

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पवित्र बाइबल

वे व्यवस्था के विधान के उपदेशक तो बनना चाहते हैं, पर जो कुछ वे कह रहे हैं या जिन बातों पर वे बहुत बल दे रहे हैं, उन तक को वे नहीं समझते।

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Hindi Holy Bible

और व्यवस्थापक तो होना चाहते हैं, पर जो बातें कहते और जिन को दृढ़ता से बोलते हैं, उन को समझते भी नहीं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

वे व्‍यवस्‍था के शास्‍त्री होने का दावा करते हैं, किन्‍तु वे जिन शब्‍दों का प्रयोग करते हैं और जिन विषयों पर इतना बल देते हैं, उन्‍हें स्‍वयं नहीं समझते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

और व्यवस्थापक तो होना चाहते हैं, पर जो बातें कहते और जिनको दृढ़ता से बोलते हैं, उनको समझते भी नहीं।

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नवीन हिंदी बाइबल

वे व्यवस्था के शिक्षक बनना तो चाहते हैं, परंतु जो वे कहते हैं और जिन बातों की वे दृढ़ता से पुष्‍टि करते हैं, स्वयं उन्हें समझते भी नहीं।

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सरल हिन्दी बाइबल

वे व्यवस्था के शिक्षक बनने की अभिलाषा तो करते हैं परंतु वे जो कहते हैं और जिन विषयों का वे दृढ़ विश्वासपूर्वक दावा करते हैं, स्वयं ही उन्हें नहीं समझते.

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1 तीमुथियुस 1:7
20 क्रॉस रेफरेंस  

उनको जाने दो; वे अंधे मार्ग दिखानेवाले हैं और अंधा यदि अंधे को मार्ग दिखाए, तो दोनों गड्ढे में गिर पड़ेंगे।”


अतः उन्होंने यीशु को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते।” उसने भी उनसे कहा, “तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता, कि ये काम किस अधिकार से करता हूँ।


और तीन दिन के बाद उन्होंने उसे मन्दिर में उपदेशकों के बीच में बैठे, उनकी सुनते और उनसे प्रश्न करते हुए पाया।


फिर कुछ लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे: “यदि मूसा की रीति पर तुम्हारा खतना न हो तो तुम उद्धार नहीं पा सकते।” (लैव्य. 12:3)


वे अपने आपको बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए, (यिर्म. 10:14)


मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूँ, कि तुम ने पवित्र आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से, या विश्वास के समाचार से पाया? (गला. 3:5, प्रेरि. 15:8-10)


इसलिए जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ्य के काम करता है, वह क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के सुसमाचार से ऐसा करता है?


तुम जो व्यवस्था के अधीन होना चाहते हो, मुझसे कहो, क्या तुम व्यवस्था की नहीं सुनते?


तो वह अभिमानी है और कुछ नहीं जानता, वरन् उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिनसे डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे-बुरे सन्देह,


और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहचान तक कभी नहीं पहुँचतीं।


हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि तुम जानते हो, कि हम उपदेशकों का और भी सख्‍ती से न्याय किया जाएगा।


पर ये लोग निर्बुद्धि पशुओं ही के तुल्य हैं, जो पकड़े जाने और नाश होने के लिये उत्पन्न हुए हैं; और जिन बातों को जानते ही नहीं, उनके विषय में औरों को बुरा-भला कहते हैं, वे अपनी सड़ाहट में आप ही सड़ जाएँगे।