दबोराह और बारक1 इस्राएलियों ने एहूद की मृत्यु के बाद पुन: वही कार्य किया, जो प्रभु की दृष्टि में बुरा था। 2 अत: प्रभु ने उन्हें कनानी जाति के राजा याबीन के हाथ में बेच दिया। याबीन हासोर नगर में राज्य करता था। उसका सेनापति सीसरा था, जो हरोशेत-ह-गोइम में रहता था। 3 उसके पास लोहे के नौ सौ रथ थे। उसने बीस वर्ष तक निर्दयतापूर्वक इस्राएलियों पर अत्याचार किया। तब इस्राएलियों ने प्रभु की दुहाई दी। 4 लप्पीदोत की पत्नी दबोराह नामक एक महिला थी। वह नबिया थी और उस समय इस्राएलियों पर शासन कर रही थी। 5 वह एक खजूर वृक्ष के नीचे बैठती थी। “दबोराह का खजूर” एफ्रइम पहाड़ी प्रदेश के बेत-एल और रामाह नगरों के मध्य स्थित था। इस्राएली न्याय के लिए उसके पास आते थे। 6 दबोराह ने अबीनोअम के पुत्र बारक के पास नफ्ताली प्रदेश के केदश नगर में दूत भेजा, और बारक को बुलाया। दबोराह ने बारक से कहा, ‘इस्राएल का प्रभु परमेश्वर तुझे यह आज्ञा देता है : “जा, और ताबोर पर्वत पर अपने लोगों को एकत्र कर। तू नफ्ताली और जबूलून कुल से दस हजार पुरुष लेना। 7 मैं तेरा सामना करने के लिए याबीन के सेनापति सीसरा को, उसके रथ और सेना के साथ, किशोन नदी के तट पर खींचकर लाऊंगा। तब मैं उसे तेरे हाथ में सौंप दूँगा।” ’ 8 बारक ने दबोराह को उत्तर दिया, ‘यदि आप मेरे साथ जाएँगी तो मैं जाऊंगा। यदि आप मेरे साथ नहीं जाएँगी तो मैं भी नहीं जाऊंगा’ 9 दबोराह ने कहा, ‘मैं निश्चय ही तेरे साथ जाऊंगी। किन्तु जिस अभियान पर तू जा रहा है, उसकी सफलता का श्रेय तुझे नहीं मिलेगा; क्योंकि प्रभु उस सेनापति सीसरा को एक स्त्री के हाथ में बेच देगा।’ तब दबोराह तैयार हुई। वह बारक के साथ केदश नगर गई। 10 बारक ने जबूलून और नफ्ताली कुल के लोगों को केदश नगर में बुलाया। दस हजार पुरुष उसके पीछे गए। दबोराह भी साथ गई। हेबर11 केनी जाति के हेबर नामक पुरुष ने अन्य केनी-वंशजों से संबंध-विच्छेद कर लिया था। वह मूसा के ससुर होबाब के पुत्रों के गोत्र से भी अलग हो गया था। उसने केदश के समीप स-अन्नीम के बांजवृक्ष के पास पड़ाव डाला था। सीसरा की पराजय12 जब सीसरा को सूचित किया गया कि अबीनोअम का पुत्र बारक ताबोर पर्वत गया है, 13 तब उसने हरोशेत-ह-गोइम नगर से लोहे के नौ सौ रथ और अपने सब सैनिक किशोन नदी के तट पर बुलाए। 14 दबोराह ने बारक से कहा, ‘उठ! आज वह दिन है, जब प्रभु तेरे हाथ में सीसरा को सौंप देगा। निस्सन्देह प्रभु तेरे आगे-आगे युद्ध करने आया है।’ अत: बारक ताबोर पर्वत से नीचे उतरा। उसके पीछे-पीछे दस हजार सैनिक उतरे। 15 प्रभु ने सीसरा को, उसके रथ और उसकी सेना को, बारक के सम्मुख भयाक्रांत कर दिया। सीसरा रथ से नीचे उतरा और पैदल ही भाग गया। 16 बारक ने हरोशेत-ह-गोइम तक सीसरा के रथों और उसकी सेना का पीछा किया। सीसरा की समस्त सेना तलवार से मार डाली गई। एक भी सैनिक नहीं बचा। 17 सीसरा पैदल भागता हुआ केनी जाति के हेबर की पत्नी याएल के तम्बू पर पहुँचा। हासोर नगर के राजा याबीन और हेबर के परिवार के मध्य मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध थे। 18 याएल सीसरा से भेंट करने के लिए तम्बू से बाहर निकली। उसने सीसरा से कहा, ‘तम्बू के भीतर आइए, स्वामी। भीतर आइए। मत डरिए।’ अत: सीसरा उसके पास तम्बू के भीतर आया। याएल ने उसे कम्बल ओढ़ा दिया। 19 सीसरा ने उससे कहा, ‘मुझे पीने के लिए थोड़ा पानी दो। मुझे प्यास लगी है।’ याएल ने दूध का मशक खोल कर उसे दूध पिलाया, और फिर उसे कम्बल ओढ़ा दिया। 20 सीसरा ने उससे कहा, ‘तम्बू के द्वार पर खड़ी रहना। यदि कोई व्यक्ति आएगा और तुमसे यह पूछेगा, “यहाँ कोई पुरुष है?” तो तुम कहना, “कोई नहीं है।” ’ 21 किन्तु हेबर की पत्नी याएल ने तम्बू की एक खूंटी ली, और हाथ में हथौड़ा लिया। वह धीमे कदमों से उसके पास गई। सीसरा थकावट के कारण गहरी नींद में सो रहा था। याएल ने उसकी कनपटी में खूंटी ठोंक दी। खूंटी कनपटी से पार होकर भूमि में धंस गई। सीसरा तत्काल मर गया। 22 बारक सीसरा का पीछा करते हुए वहाँ आया। याएल उससे भेंट करने को तम्बू के बाहर निकली। उसने बारक से कहा, ‘तम्बू के भीतर आइए। जिस व्यक्ति को आप ढूँढ़ रहे हैं, उसे मैं आपको दिखाऊंगी।’ बारक उसके तम्बू के भीतर गया। वहाँ सीसरा मृत पड़ा था। उसकी कनपटी में तम्बू की खूंटी गड़ी हुई थी। 23 इस प्रकार परमेश्वर ने उस दिन कनानी जाति के राजा याबीन को इस्राएलियों के सामने नीचा दिखाया। 24 जब तक इस्राएलियों ने कनानी राजा याबीन का सर्वनाश नहीं कर दिया, तब तक वे उसे अधिकाधिक दबाते रहे। |
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