पुस्तक-परिचय
एज्रा तथा नहेम्याह ग्रन्थ पिछले दो “इतिहास ग्रन्थों” के ही शेष भाग हैं। चारों ग्रन्थ पुरोहिती “इतिहासकार” की शैली में लिखे गए हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ में बेबीलोन देश की गुलामी से मुक्त कुछ यहूदियों की वापसी, यरूशलेम नगर में इन लौटे हुए यहूदियों के पुनर्वास तथा यरूशलेम के मन्दिर में यहूदी आराधना के पुन: आरम्भ होने का विवरण है। पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें अरामी भाषा में सरकारी दस्तावेज़ों का उल्लेख हुआ है। समस्त विवरण को निम्नलिखित घटनाक्रम में लिखा गया है :
(1) सन् 538 ईसवी पूर्व के फारस देश के सम्राट कुस्रू के आदेश से बेबीलोन महानगर के आसपास बसे यहूदियों का प्रथम झुण्ड यरूशलेम नगर लौटता है। इन स्वदेश लौटनेवाले यहूदियों की सूची।
(2) अनेक विघ्न-बाधाओं के बावजूद मन्दिर का पुन: निर्माण और सन् 515 ईसवी पूर्व में उसका प्रतिष्ठापन। इस प्रकार यरूशलेम नगर में परमेश्वर की आराधना का पुन: आरम्भ हुआ।
(3) शास्त्री और पुरोहित एज्रा के नेतृत्व में कुछ वर्ष पश्चात् (सन् 428 ई. पू.?) यहूदियों का दूसरा समूह स्वदेश लौटता है। शास्त्री एज्रा परमेश्वर की व्यवस्था के ज्ञानी थे। वह लौटे हुए यहूदियों को संगठित करते एवं इस्राएल की आध्यात्मिक विरासत की सुरक्षा-हेतु तथा यहूदियों के धार्मिक एवं समाजिक जीवन को पुन: संगठित करने के लिए लोगों की सहायता करते हैं। उनकी धर्मनीति से न केवल यह प्रतिफल हुआ कि “यहूदीत्व” की अपनी अलग पहचान होने लगी, वरन् इससे संकीर्ण सांप्रदायिक विचारधारा का पोषण भी हुआ।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
निष्कासन के पश्चात् लौटे हुए यहूदियों की सूची 1:1−2:70
मन्दिर का पुन: निर्माण एवं प्रतिष्ठापन 3:1−6:22
शास्त्री एज्रा का अन्य यहूदियों के साथ यरूशलेम में आगमन 7:1−10:44