पुस्तक-परिचय
इस्राएल तथा यहूदा प्रदेश के “राजाओं का वृत्तांत : पहला भाग” जहां समाप्त होता है, वहाँ से “दूसरा भाग” आरम्भ होता है। “राजाओं का वृत्तांत : दूसरा भाग” निम्नलिखित दो खण्डों में विभाजित किया जा सकता है :
(1) सन् 850 ईसवी पूर्व से सन् 721 ईसवी पूर्व तक की अवधि में इस्राएल तथा यहूदा प्रदेश में जो राजा हुए, उनका विवरण। असीरिया देश की विस्तारवादी नीति से उत्तरी राज्य इस्राएल कमजोर होता गया और सन् 721 ईसवी पूर्व राजधानी सामरी नगर का पतन हुआ। इसी पतन के साथ उत्तरी राज्य का विनाश हुआ और विदेशियों के आवागमन के कारण वहां एक मिश्रित आबादी बढ़ने लगी।
(2) दूसरे खण्ड में सन् 721 ईसवी पूर्व से लेकर दक्षिणी राज्य यहूदा के शेष राजाओं का विवरण मिलता है। यद्यपि धार्मिक राजा योशियाह के शासन-काल में धर्मसुधार का जन-आंदोलन गतिशील था, तथापि असीरियाई महानगर नीनवे की पराजय के बाद बेबीलोनी महाशक्ति का उदय हुआ। बेबीलोन देश के सम्राट नबूकदनेस्सर ने यहूदा प्रदेश पर भी आक्रमण किया और सन् 586 ईसवी पूर्व राजधानी यरूशलेम को खण्डहर बना दिया। इस दु:खद अन्त के फलस्वरूप इस्राएली राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता खो बैठा और प्रमुख नागरिकों को देश से निष्कासित होना पड़ा।
प्रस्तुत ग्रन्थ का अन्त सम्राट नबूकदनेस्सर द्वारा यहूदा प्रदेश पर गदल्याह को प्रशासक नियुक्त करने एवं बेबीलोन के कारागार से यहूदा प्रदेश के बन्दी राजा यहोयाकीन को मुक्त करने से होता है।
वृत्तांत लिखते समय ग्रन्थकार यह लिखना नहीं भूलते कि इस्राएल राज्य तथा यहूदा राज्य का पतन तथा इस्राएली कौम के बन्दी होने का कारण परमेश्वर के प्रति अनिष्ठा एवं उसकी आज्ञा का उल्लंघन था। यरूशलेम के पवित्र मन्दिर के विध्वंस तथा अधिकांश इस्राएलियों के बन्दी बनकर बेबीलोन जाने से इस्राएली इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ आया, जिसका प्रभाव इस्राएली कौम के भविष्य के इतिहास पर पड़ा।
प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रमुख नबी एलीशा हैं जो नबी एलियाह के शिष्य थे। दोनों ने उत्तरी राज्य में धर्मसेवा की। दक्षिणी राज्य में नबी यशायाह ने नबूवत की।
विषयवस्तु की रूपरेखा
(1) विभाजित यहूदा तथा इस्राएल राज्य 1:1−17:41
(क) नबी एलीशा 1:1−8:15
(ख) यहूदा तथा इस्राएल राज्यों के राजा 8:16−17:4
(ग) राजधानी सामरी नगर का पतन 17:5-41
(2) यहूदा राज्य के शेष राजा : 18:1−25:30
(क) राजा हिजकियाह से राजा योशियाह तक 18:1−21:26
(ख) योशियाह का राज्य-काल 22:1−23:30
(ग) यहूदा राज्य के अन्तिम राजा 23:31−24:20
(घ) राजधानी यरूशलेम का पतन 25:1-30