सुरक्षा के लिए प्रार्थनादाऊद की प्रार्थना। 1 हे यहोवा, उचित पक्ष को सुन, मेरी पुकार पर ध्यान दे; मेरी प्रार्थना पर कान लगा, जो कपटी होंठों से नहीं निकलती। 2 तेरे सामने मेरा न्याय हो; तेरी आँखें सच्चाई को देखें। 3 तूने मेरे मन को जाँचा है। तूने रात को मेरी सुधि ली; तूने मुझे परखा, परंतु कुछ बुरा न पाया। मैंने ठान लिया है कि मेरे मुँह से पाप की कोई बात नहीं निकलेगी। 4 मनुष्य के कार्यों के संबंध में : तेरे होंठों के शब्द के द्वारा मैंने हिंसक लोगों के मार्गों से स्वयं को बचाए रखा। 5 मेरे कदम तेरे मार्गों में स्थिर रहे; मेरे पैर लड़खड़ाए नहीं। 6 हे परमेश्वर, मैंने तुझी को पुकारा है; क्योंकि तू मुझे उत्तर देता है। अपना कान मेरी ओर लगा और मेरी विनती को सुन। 7 तू जो अपने दाहिने हाथ से अपने शरणागतों को उनके विरोधियों से बचाता है, अपनी अद्भुत करुणा दिखा। 8-9 अपनी आँख की पुतली के समान मुझे सुरक्षित रख; अपने पंखों के तले मुझे उन दुष्टों से छिपा ले, जो मुझ पर अत्याचार करते हैं, अर्थात् मेरे प्राणघातक शत्रुओं से जो मुझे घेरे हुए हैं। 10 उन्होंने अपने हृदयों को कठोर कर लिया है; उनके मुँह से घमंड की बातें निकलती हैं। 11 उन्होंने अब हमें कदम-कदम पर घेर लिया है; वे हमें मिट्टी में मिला देने के लिए घात लगाए हुए हैं। 12 वे उस सिंह के समान हैं जो फाड़ खाने को उत्सुक रहता है, और उस जवान सिंह के समान हैं जो घात लगाने के स्थानों में बैठा रहता है। 13 उठ, हे यहोवा! उसका सामना कर, और उसे पटक दे! अपनी तलवार के बल से मेरे प्राण को दुष्ट से बचा ले। 14 हे यहोवा, अपना हाथ बढ़ाकर मुझे मनुष्यों से, अर्थात् संसार के उन मनुष्यों से बचा ले, जिनका भाग इसी जीवन में है, और जिनका पेट तू अपने भंडार से भरता है। वे बाल-बच्चों से संतुष्ट रहते हैं, और शेष संपत्ति अपने बच्चों के लिए छोड़ जाते हैं। 15 परंतु मैं धार्मिकता में तेरे मुख का दर्शन करूँगा; जब मैं जागूँगा तब तेरे स्वरूप को देखकर संतुष्ट होऊँगा। |