परंतु मूसा ने परमेश्वर से कहा, “मैं कौन हूँ जो फ़िरौन के पास जाऊँ, और इस्राएलियों को मिस्र से निकाल ले आऊँ?”
निर्गमन 4:10 - नवीन हिंदी बाइबल मूसा ने यहोवा से कहा, “हे मेरे प्रभु, मैं कभी बोलने में निपुण नहीं रहा, न तो पहले था, और न अब हूँ जब से तू अपने दास से बातें करने लगा है। मैं तो बोलने और बात करने में धीमा हूँ।” पवित्र बाइबल किन्तु मूसा ने यहोवा से कहा, “किन्तु हे यहोवा, मैं सच कहता हूँ मैं कुशल वक्ता नहीं हूँ। मैं लोगों से कुशलतापूर्वक बात करने के योग्य नहीं हुआ और अब तुझ से बातचीत करने के बाद भी मैं कुशल वक्ता नहीं हूँ। तू जानता हैं कि मैं धीरे—धीरे बोलता हूँ और उत्तम शब्दों का उपयोग नहीं करता।” Hindi Holy Bible मूसा ने यहोवा से कहा, हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं, न तो पहिले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुंह और जीभ का भद्दा हूं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मूसा ने प्रभु से कहा, ‘हे मेरे स्वामी, मैं कुशल वक्ता नहीं हूं। मैं न पहले कभी था, और न जब से तू अपने सेवक से वार्तालाप करने लगा है, मैं हूं। मुझे बोलने में कठिनाई होती है और मेरी जीभ लड़खड़ाती है।’ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मूसा ने यहोवा से कहा, “हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं, न तो पहले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुँह और जीभ का भद्दा हूँ।” सरल हिन्दी बाइबल तब मोशेह ने याहवेह से कहा, “याहवेह परमेश्वर, मुझे माफ करें, मैं अच्छी तरह से बोल नहीं सकता हूं, पहले भी नहीं बोल सकता था, और न जब से आपने अपने दास से बात की थी, मेरी ज़ुबान तुतली और धीमी है!” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मूसा ने यहोवा से कहा, “हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं, न तो पहले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुँह और जीभ का भद्दा हूँ।” |
परंतु मूसा ने परमेश्वर से कहा, “मैं कौन हूँ जो फ़िरौन के पास जाऊँ, और इस्राएलियों को मिस्र से निकाल ले आऊँ?”
तब मूसा ने उत्तर दिया, “पर देख, वे मेरा विश्वास नहीं करेंगे और न मेरी सुनेंगे, बल्कि यही कहेंगे, ‘यहोवा ने तुझे दर्शन नहीं दिया है।’ ”
परंतु मूसा ने यहोवा से कहा, “जब इस्राएलियों ने ही मेरी नहीं सुनी, तो फ़िरौन मेरी क्या सुनेगा क्योंकि मैं तो ठीक से बोल भी नहीं पाता?”
परंतु मूसा ने यहोवा को उत्तर दिया, “मैं तो ठीक से बोल भी नहीं पाता, फिर फ़िरौन कैसे मेरी सुनेगा?”
क्योंकि कोई तो कहता है, “उसके पत्र तो गंभीर और प्रभावशाली होते हैं, परंतु उसकी व्यक्तिगत उपस्थिति प्रभावहीन और उसका प्रवचन व्यर्थ है।”
यद्यपि मैं बोलने में निपुण नहीं, फिर भी ज्ञान में तो हूँ, बल्कि हमने इसे सब बातों में हर प्रकार से तुम पर प्रकट किया है।