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नीतिवचन 21:10 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

दुष्ट जन बुराई की लालसा जी से करता है, वह अपने पड़ोसी पर अनुग्रह की दृष्टि नहीं करता।

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पवित्र बाइबल

दुष्ट जन सदा पाप करने को इच्छुक रहता, उसका पड़ोसी उससे दया नहीं पाता।

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Hindi Holy Bible

दुष्ट जन बुराई की लालसा जी से करता है, वह अपने पड़ोसी पर अनुग्रह की दृष्टि नही करता।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

दुर्जन का जीव सदा बुराई की कामना करता है; उसका पड़ोसी भी उसकी आंखों में दया-भाव नहीं पाता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

दुष्‍ट जन बुराई की लालसा जी से करता है, वह अपने पड़ोसी पर अनुग्रह की दृष्‍टि नहीं करता।

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नवीन हिंदी बाइबल

दुष्‍ट का मन बुराई की लालसा करता है; उसकी आँखों में अपने पड़ोसी के लिए दया नहीं होती।

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सरल हिन्दी बाइबल

दुष्ट के मन की लालसा ही बुराई की होती है; उसके पड़ोसी तक भी उसकी आंखों में कृपा की झलक नहीं देख पाते.

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नीतिवचन 21:10
19 क्रॉस रेफरेंस  

जो व्यक्ति अनुग्रह करता और उधार देता है, और ईमानदारी के साथ अपने काम करता है, उसका कल्याण होता है।


उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा; और उसका सींग आदर के साथ ऊँचा किया जाएगा। (2 कुरि. 9:9)


वह अपने बिछौने पर पड़े-पड़े अनर्थ की कल्पना करता है; वह अपने कुमार्ग पर दृढ़ता से बना रहता है; बुराई से वह हाथ नहीं उठाता।


दुष्ट जन बुरे लोगों के लूट के माल की अभिलाषा करते हैं, परन्तु धर्मियों की जड़ें हरी भरी रहती है।


जो अपने पड़ोसी को तुच्छ जानता, वह पाप करता है, परन्तु जो दीन लोगों पर अनुग्रह करता, वह धन्य होता है।


जो बुराई करने से आनन्दित होते हैं, और दुष्ट जन की उलट-फेर की बातों में मगन रहते हैं;


जो कंगाल की दुहाई पर कान न दे, वह आप पुकारेगा और उसकी सुनी न जाएगी।


लम्बे-चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से, छत के कोने पर रहना उत्तम है।


जब तेरा पड़ोसी तेरे पास निश्चिन्त रहता है, तब उसके विरुद्ध बुरी युक्ति न बाँधना।


ये बातें हमारे लिये दृष्टान्त ठहरीं, कि जैसे उन्होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्तुओं का लालच न करें।


क्योंकि जिसने दया नहीं की, उसका न्याय बिना दया के होगा। दया न्याय पर जयवन्त होती है।


क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा, और आँखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। (रोम. 13:14, नीति. 27:20)