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- Sanasan -




तितुस 2:2 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

2 बुज़ुर्गों मर्दों को सिखा के वह परहेज़गार, क़ाबिल-ए-एहतिराम, अपने नफ़्स पर क़ाबू रखने वाले, ईमान, महब्बत और सब्र में पक्के हों।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

2 या'नी ये कि बूढ़े मर्द परहेज़गार, सन्जीदा और मुहाबती हों और उन का ईमान और मुहब्बत और सब्र दुरुस्त हो।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

2 बुज़ुर्ग मर्दों को बता देना कि वह होशमंद, शरीफ़ और समझदार हों। उनका ईमान, मुहब्बत और साबितक़दमी सेहतमंद हों।

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तितुस 2:2
33 Iomraidhean Croise  

जब लोग हुज़ूर ईसा के पास पहुंचे और उस आदमी को जिस में बदरूहों का लश्कर था, उसे कपड़े पहने हुए, होश की हालत में; बैठे देखा तो बहुत ख़ौफ़ज़दा हुए।


लोग इस माजरे को देखने निकले और हुज़ूर ईसा के पास आये। जब उन्होंने उस आदमी को जिस में से बदरूहें निकली थीं, कपड़े पहने और होश में हुज़ूर ईसा के पांव के पास बैठे देखा तो ख़ौफ़ज़दा रह गये।


जब पौलुस ने रास्तबाज़ी, परहेज़गारी और आने वाली अदालत के बारे में बयान किया तो फ़ेलिक्स डर गया और कहने लगा, “अभी इतना ही काफ़ी है! तो जा सकता है। मुझे फ़ुर्सत मिलेगी तो मैं तुझे फिर बुलवाऊंगा।”


मैं उस फ़ज़ल की बन पर जो मुझ पर हुआ है तुम में से हर एक से कहता हूं के जैसा समझना मुनासिब है कोई अपने आप को उस से ज़्यादा न समझे बल्के जैसा ख़ुदा ने हर एक को अन्दाज़े से ईमान तक़्सीम किया है एतदाल के साथ अपने आप को वैसा ही समझे।


रास्तबाज़ होने के लिये होश में आओ और गुनाह न करो क्यूंके कितने शरम की बात है के तुम में बाज़ अभी तक ख़ुदा से नाआश्ना हैं।


खेलों के मुक़ाबला में हिस्सा लेने वाला हर खिलाड़ी हर तरह की एहतियात बरतता है। वह लोग एक फ़ानी ताज पाने के लिये ऐसा करते हैं। लेकिन हम उस ताज के लिये ऐसा करते हैं जो ग़ैरफ़ानी है।


अगर “हम दीवाने हैं” तो ख़ुदा के वास्ते हैं; और अगर होश में हैं, तो तुम्हारे वास्ते।


नरमी और परहेज़गारी है। ऐसे कामों की कोई शरीअत मुख़ालफ़त नहीं करती।


ग़रज़, ऐ भाईयो और बहनों! जितनी बातें सच हैं, लाइक़ हैं, मुनासिब हैं, पाक हैं, दिलकश और पसन्दीदा हैं यानी जो अच्छी और क़ाबिले-तारीफ़ हैं, उन ही बातों पर ग़ौर किया करो।


लिहाज़ा हम दूसरों की तरह सोते न रहें बल्के जागते और होशयार रहें।


चूंके हम दिन के हैं इसलिये हम ईमान और महब्बत का बकतर लगा कर और नजात की उम्मीद का ख़ोद यानी टोपी पहन कर होशयार रहें।


और ज़िनाकारों, लौंडे बाज़ों, ग़ुलाम फ़रोशों, झूट बोलने वाले, झूटी क़समें खाने वाले और ऐसे तमाम काम हैं जो उस सही तालीम के ख़िलाफ़ में हैं,


और हमारे ख़ुदावन्द का फ़ज़ल उस ईमान और महब्बत के साथ जो अलमसीह ईसा में है, मुझ पर बहुत कसरत से हुआ।


तिमुथियुस के नाम ख़त जो ईमान के लिहाज़ से मेरा हक़ीक़ी बेटा है। ख़ुदा बाप और हमारे अलमसीह ईसा की तरफ़ से तुम्हें फ़ज़ल, रहम और सलामती हासिल होती रहे।


मेरे इस हुक्म का मक़सद यह है के सभी मसीही मोमिनीन के अन्दर एक दूसरे के लिये महब्बत पैदा हो जो ख़ुलूस दिल, नेक नीयत और हक़ीक़ी ईमान से पैदा होती है।


ठीक इसी तरह ख़्वातीन भी क़ाबिल-ए-एहतिराम, दूसरों पर तोहमत लगाने वाली न हों बल्के होशमंद और हर बात में वफ़ादार हों।


लिहाज़ा निगहबान को चाहिये के वह बेइल्ज़ाम, एक बीवी का शौहर, परहेज़गार, ख़ुद पर क़ाबू रखने वाला, क़ाबिल-ए-एहतिराम, मुसाफ़िर परवर और तालीम देने के क़ाबिल हो।


वह अपने घर का बख़ूबी बन्दोबस्त करने वाला और अपने बच्चों को बड़ी संजीदगी के साथ ताबे रखता हो।


इसी तरह जमाअत के ख़ादिमो को चाहिये के वह संजीदा मिज़ाज हों, दोरूख़े, शराबी और न जाइज़ कमाई के लालची न हों।


किसी उम्र रसीदा शख़्स को सख़्ती से न डांटना, बल्के उसे अपना बाप समझ कर नसीहत दे और जवानों को भाईयों की तरह समझा।


यह गवाही सच्ची है। लिहाज़ा तू उन्हें सख़्ती से मलामत किया कर ताके उन का ईमान दुरुस्त हो जाये।


बल्के वह मेहमान-नवाज़, ख़ैर दोस्त, अपने नफ़्स पर क़ाबू रखने वाला, रास्तबाज़, पाक और नज़्म-ओ-ज़ब्त वाला हो।


तुम सब बातों में अपने आप को नेक कामों के करने में उन के लिये नमूना बन। और तेरी तालीम में ख़ुलूस दिली और संजीदगी हो,


लेकिन फिर भी मैं बूढ़ा पौलुस जो इस वक़्त ख़ुदावन्द अलमसीह ईसा की ख़ातिर क़ैदी हूं और महब्बत के साथ तुम से दरख़्वास्त करना मुनासिब समझता हूं।


इसलिये अपनी अक़्ल से काम लो और होशयार रह कर, मुकम्मल संजीदगी से ज़िन्दगी गुज़ारो और उस फ़ज़ल पर पूरी उम्मीद रखो जो तुम्हें हुज़ूर ईसा अलमसीह के ज़ाहिर होने के वक़्त मिलने वाला है।


दुनिया के ख़ातिमा का वक़्त नज़दीक आ गया है। इसलिये होशयार रहो, और सरगर्म होकर ख़ूब दुआ करो।


होशयार और ख़बरदार रहो क्यूंके तुम्हारा दुश्मन इब्लीस धाड़ते हुए शेर बब्बर की मानिन्द ढूंडता फिरता है के किस को फाड़ खाये।


इल्म में परहेज़गारी का, परहेज़गारी में सब्र का, सब्र में ख़ुदापरस्ती का,


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