Biblia Todo Logo
Bìoball air-loidhne

- Sanasan -




रोमियों 7:5 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

5 जब हम अपनी इन्सानी फ़ितरत के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारते थे तो शरीअत हम में गुनाह की रग़बत पैदा करती थी जिस से हमारे आज़ा मुतास्सिर होकर मौत का फल पैदा करते थे।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

5 क्यूँकि जब हम जिस्मानी थे गुनाह की ख़्वाहिशों जो शरी'अत के ज़रिए पैदा होती थीं मौत का फल पैदा करने के लिए हमारे आ'ज़ा में तासीर करती थी।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

5 क्योंकि जब हम अपनी पुरानी फ़ितरत के तहत ज़िंदगी गुज़ारते थे तो शरीअत हमारी गुनाहआलूदा रग़बतों को उकसाती थी। फिर यही रग़बतें हमारे आज़ा पर असरअंदाज़ होती थीं और नतीजे में हम ऐसा फल लाते थे जिसका अंजाम मौत है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




रोमियों 7:5
28 Iomraidhean Croise  

क्यूंके बुरे ख़्याल, क़त्ल, ज़िना, जिन्सी बदफ़ेली, चोरी, कुफ़्र झूटी गवाही, दिल ही से निकलती हैं।


बशर से तो बशर ही पैदा होता है मगर जो रूह से पैदा होता है वह रूह है।


इसी सबब से ख़ुदा ने उन्हें उन के दिलों की शर्मनक ख़ाहिशात में छोड़ दिया यहां तक के उन की औरतों ने अपने तब्ई जिन्सी-फे़ल को ग़ैर-तब्ई फे़अल से बदल डाला।


क्यूंके शरीअत के आमाल से कोई शख़्स ख़ुदा की हुज़ूरी में रास्तबाज़ नहीं ठहरेगा; इसलिये के शरीअत के ज़रीये से ही आदमी गुनाह को पहचानता है।


बात ये है के जहां शरीअत है वहां ग़ज़ब भी है और जहां शरीअत नहीं वहां शरीअत का उदूल भी नहीं।


बाद में शरीअत मौजूद हुई ताके गुनाह ज़्यादा हो। लेकिन जहां गुनाह ज़्यादा हुआ वहां फ़ज़ल उस से भी कहीं ज़्यादा हुआ।


और न ही अपने जिस्म के आज़ा को गुनाह के हवाला करो ताके वह नारास्ती के वसाइल न बनने पायें बल्के अपने आप को मुर्दों में से ज़िन्दा हो जाने वालों की तरह ख़ुदा के हवाला करो और साथ ही अपने जिस्म के आज़ा को भी ख़ुदा के हवाला करो ताके वह रास्तबाज़ी के वसाइल बन सकीं।


में तुम्हारी इन्सानी कमज़ोरी के सबब से बतौर इन्सान ये कहता हूं। जिस तरह तुम ने अपने आज़ा को नापाकी और नाफ़रमानी की ग़ुलामी में दे दिया था और वह नाफ़रमानी बढ़ती जाती थी, अब अपने आज़ा को पाकीज़गी के लिये रास्तबाज़ी की ग़ुलामी में दे दो।


लिहाज़ा जिन बातों से तुम अब शर्मिन्दा हो, उन से तुम्हें क्या हासिल हुआ? क्यूंके उन का अन्जाम तो मौत है।


क्यूंके गुनाह की मज़दूरी मौत है लेकिन ख़ुदा की बख़्शिश हमारे ख़ुदावन्द अलमसीह ईसा में अब्दी ज़िन्दगी है।


लेकिन मुझे अपने जिस्म के आज़ा में एक और ही शरीअत काम करती दिखाई देती है जो मेरी अक़्ल की शरीअत से लड़ कर मुझे गुनाह की शरीअत का क़ैदी बना देती है जो मेरे आज़ा में मौजूद है।


मौत का डंक गुनाह है, और गुनाह का ज़ोर शरीअत है।


अगरचे हम दुनिया ही में रहते हैं, लेकिन हम दुनिया के जिस्मानियों की तरह नहीं लड़ते।


मगर जितने शरीअत के आमाल पर तकिया करते हैं वह सब लानत के मातहत हैं। चुनांचे किताब-ए-मुक़द्दस यूं बयान करती है: “जो कोई शरीअत की किताब की सारी बातों पर अमल नहीं करता वह लानती है।”


और जो अलमसीह ईसा के हैं उन्होंने अपने जिस्म को उस की रग़बतों और बुरी ख़ाहिशों समेत सलीब पर चढ़ा दिया है।


पस याद रखो के पहले तुम पैदाइश के लिहाज़ से ग़ैरयहूदी थे और वह “मख़्तून” लोग जिन का ख़तना हाथ से किया हुआ जिस्मानी निशान है तुम्हें “नामख़्तून” कहते थे।


कभी हम भी उन में शामिल थे, और नफ़्सानी ख़ाहिशों में ज़िन्दगी गुज़ारते थे और दिल-ओ-दिमाग़ की हर रविश को पूरा करने में लगे रहते थे। और तब्ई तौर पर दूसरे इन्सानों की तरह ख़ुदा के ग़ज़ब के मातहत थे।


पस तुम पस तुम अपनी दुनियवी फ़ितरत को मार डालो मसलन: जिन्सी बदफ़ेली, नापाकी, अपनी शहवत-परस्ती, बुरी ख़ाहिशात और लालच को जो बुतपरस्ती के बराबर है।


क्यूंके हम भी ईमान लाने से पहले न समझ, नाफ़रमान, फ़रेब खाने वाले और हर तरह की ख़ाहिशों और अय्याशियों की ग़ुलामी में थे। बदनीयती और हसद में ज़िन्दगी गुज़ारते थे। लोग हम से नफ़रत करते थे और हम उन से।


फिर ख़ाहिश हामिला होकर गुनाह को पैदा करती है और गुनाह अपने शबाब पर पहुंच कर मौत को ख़ल्क़ करता है।


तुम्हारे दरमियान लड़ाईयां और झगड़े कहां से आते हैं? क्या उन ख़ाहिशों से नहीं जो तुम्हारे जिस्म के आज़ा में फ़साद पैदा करती हैं?


जो कोई गुनाह करता है वो शरीअत की मुख़ालफ़त करता है क्यूंके गुनाह शरीअत की मुख़ालफ़त ही है।


Lean sinn:

Sanasan


Sanasan