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- Sanasan -




मुकाशफ़ा 8:3 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

3 फिर एक और फ़रिश्ता सोने का बख़ूरदान लिये हुए आया और क़ुर्बानगाह के पास खड़ा हो गया। उसे बहुत सा बख़ूर दिया गया ताके वह उसे सब मुक़द्दसीन की दुआओं के साथ तख़्त-ए-इलाही के सामने की सुनहरी क़ुर्बानगाह पर नज़्र करे।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

3 फिर एक और फ़रिश्ता सोने का 'बखूरदान लिए हुए आया और क़ुर्बानगाह के ऊपर खड़ा हुआ, और उसको बहुत सा 'ऊद दिया गया, ताकि अब मुक़द्दसों की दु'आओं के साथ उस सुनहरी क़ुर्बानगाह पर चढ़ाए जो तख़्त के सामने है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

3 एक और फ़रिश्ता जिसके पास सोने का बख़ूरदान था आकर क़ुरबानगाह के पास खड़ा हो गया। उसे बहुत-सा बख़ूर दिया गया ताकि वह उसे मुक़द्दसीन की दुआओं के साथ तख़्त के सामने की सोने की क़ुरबानगाह पर पेश करे।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




मुकाशफ़ा 8:3
32 Iomraidhean Croise  

जब लोबान जलाने का वक़्त आया और इबादत करने वाले बाहर जमा होकर दुआ कर रहे थे।


कौन उन्हें मुजरिम क़रार दे सकता है? कोई नहीं। इसलिये के अलमसीह ईसा ही वह हैं जो मर गये और मुर्दों में से जी उठे और जो ख़ुदा की दाहिनी तरफ़ मौजूद हैं। वोही हमारी शफ़ाअत भी करते हैं।


पस जो लोग हुज़ूर ईसा के वसीले से ख़ुदा के पास आते हैं वह उन्हें मुकम्मल तौर से नजात दे सकते हैं क्यूंके वह उन की शफ़ाअत करने के लिये हमेशा ज़िन्दा हैं।


पाक-तरीन मक़ाम के अन्दर बख़ूर जलाने के लिये सोने का क़ुर्बानगाह और अह्द का सन्दूक़ था जो सोने से मंढा हुआ था। उस सन्दूक़ में मन्न से भरा हुआ सोने का मर्तबान और हज़रत हारून का असा था जिस में कोन्पलें फूट निकली थीं और अह्द की दो लौहें थीं जिन पर दस अहकाम कन्दाके थे।


उस के बाद मैंने एक ज़ोरआवर फ़रिश्ते को आसमान से उतरते देखा। वो बादल ओढ़े हुए था और उस के सर के ऊपर क़ौसे-क़ुज़ह थी। उस का चेहरा आफ़ताब की मानिन्द था और पांव आग के सुतूनों की तरह थे।


फिर एक और फ़रिश्ता जिस का आग पर इख़्तियार था, क़ुर्बानगाह से बाहर निकला; और उस ने तेज़ दरांती वाले फ़रिश्ते को पुकार कर कहा, “अपनी तेज़ दरांती चला और ज़मीन के अंगूरी बाग़ से गुच्छे काट ले क्यूंके उस के अंगूर बिलकुल पक चुके हैं।”


और जब उस ने वो किताब ली तो चारों जानदार और चौबीस बुज़ुर्ग हुक्मरां उस बर्रे के सामने सज्दे में गिर पड़े। उन में से हर एक के पास बरबत और बख़ूर से भरे हुए सोने के प्याले थे। ये मुक़द्दसीन की दुआएं हैं।


जब उस ने पांचवें मुहर खोली तो मैंने क़ुर्बानगाह के नीचे उन लोगों की रूहें देखें जो ख़ुदा के कलाम के सबब से और गवाही पर क़ाइम रहने के बाइस क़त्ल कर दिये गये थे।


फिर मैंने एक और फ़रिश्ते को ज़िन्दा ख़ुदा की मुहर लिये हुए मशरिक़ से ऊपर की तरफ़ आते देखा। उस ने उन चारों फ़रिश्तों से जिन्हें ज़मीन और समुन्दर को नुक़्सान पहुंचाने का इख़्तियार दिया गया था बुलन्द आवाज़ से पुकार कर कहा,


और उस बख़ूर का धूवां मुक़द्दसीन की दुआओं के साथ उस फ़रिश्ते के हाथ से निकला और ख़ुदा के हुज़ूर जा पहुंचा।


तब उस फ़रिश्ते ने क़ुर्बानगाह से आग ले कर उस बख़ूरदान में भरी और उसे ज़मीन पर डाल दिया जिस से बिजली की चमक और बादलों के गरज की सदाएं पैदा हुईं और ज़लज़ला आ गया।


जब छटे फ़रिश्ता ने अपना नरसिंगा फूंका तो मैंने ख़ुदा के सामने वाली सुनहरी क़ुर्बानगाह के चार सींगों में से एक आवाज़ आती सुनी।


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