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- Sanasan -




मुकाशफ़ा 5:9 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

9 और वो ये नया नग़मा गाने लगे, “तू ही इस किताब को लेने और उस की मुहरें खोलने के लाइक़ है, क्यूंके तूने ज़ब्ह होकर, अपने ख़ून से हर क़बीले, और अहल-ए-ज़बान, हर उम्मत और हर क़ौम से लोगों को ख़ुदा के वास्ते ख़रीद लिया है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

9 और वो ये नया गीत गाने लगे, “तू ही इस किताब को लेने, और इसकी मुहरें खोलने के लायक़ है; क्यूँकि तू ने ज़बह होकर अपने ख़ून से हर क़बीले और अहले ज़बान और उम्मत और क़ौम में से ख़ुदा के वास्ते लोगों को ख़रीद लिया।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

9 साथ साथ वह एक नया गीत गाने लगे, “तू तूमार को लेकर उस की मुहरों को खोलने के लायक़ है। क्योंकि तुझे ज़बह किया गया, और अपने ख़ून से तूने लोगों को हर क़बीले, हर अहले-ज़बान, हर मिल्लत और हर क़ौम से अल्लाह के लिए ख़रीद लिया है।

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मुकाशफ़ा 5:9
41 Iomraidhean Croise  

चुनांचे इब्न-ए-आदम इसलिये नहीं आया के ख़िदमत ले बल्के, इसलिये के ख़िदमत करे, और अपनी जान दे कर बहुतेरों को रिहाई बख़्शे।”


ये मेरा अह्द का वह ख़ून है जो बहुतेरों के गुनाहों की मुआफ़ी के लिये बहाया जाता है।


पस अपना और सारे गल्ले का ख़्याल रखो जिस के तुम पाक रूह की जानिब से निगहबां मुक़र्रर किये गये हो ताके ख़ुदा की जमाअत की निगहबानी करो जिसे ख़ुदा ने ख़ास अपने ही ख़ून से ख़रीदा है।


क्यूंके तुम क़ीमत से ख़रीदे गये हो। पस अपने बदन से ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर करो।


तुम ख़रीद लिये गये हो और तुम्हारी क़ीमत अदा की जा चुकी है; अब आदमियों के ग़ुलाम मत बनों।


हमें उस फ़ज़ल की बदौलत, अलमसीह के ख़ून के वसीले से, मुख़्लिसी यानी गुनाहों की मुआफ़ी हासिल होती है।


एक दूसरे से ज़बूर, हम्द-ओ-सना और रूहानी ग़ज़लें और ख़ुदावन्द की तारीफ़ में दिल से गाते बजाते रहा करो,


उसी अज़ीज़ बेटे के ज़रीये हमें मुख़्लिसी, यानी गुनाहों की मुआफ़ी मिली है।


बशर्ते के तुम अपने ईमान की पुख़्ता बुनियाद पर क़ाइम रहो, और उस ख़ुशख़बरी की उम्मीद को जिसे तुम ने सुना था, न छोड़ो, जिस की मुनादी आसमान के नीचे सारी मख़्लूक़ में की गई, और मैं पौलुस उसी का ख़ादिम बना।


जिन्होंने अपने आप को हमारी ख़ातिर क़ुर्बान कर दिया ताके हमारा फ़िद्-या होकर हमें हर तरह की बेदीनी से छुड़ा लें और हमें पाक कर के अपने लिये एक ऐसी उम्मत बना लें जो नेक काम करने में सरगर्म रहे।


जो ऐसी बातें कहते हैं वो ये ज़ाहिर करते हैं के हम अब तक अपने वतन की तलाश में हैं।


जिस तरह बनी इस्राईल में झूटे नबी मौजूद थे इसी तरह तुम्हारे दरमियान भी झूटे उस्ताद होंगे। जो पोशीदा तौर पर हलाक करने वाली बिदअतें शुरू करेंगे और उस आक़ा अलमसीह का भी इन्कार करेंगे जिस ने उन्हें क़ीमत अदा कर के छुड़ाया है। ऐसी बातों से ये लोग जल्द ही अपने ऊपर हलाकत लायेंगे


लेकिन अगर हम नूर में चलते हैं जैसा के ख़ुदा नूर में है तो फिर हम एक दूसरे के साथ रिफ़ाक़त रखते हैं और उस के बेटे हुज़ूर ईसा का ख़ून हमें तमाम गुनाहों से पाक साफ़ कर देता है।


और वोही हमारे गुनाहों का कफ़्फ़ारा है और न सिर्फ़ हमारे ही गुनाहों का बल्के सारी दुनिया के गुनाहों का भी कफ़्फ़ारा है।


फिर मुझे बताया गया, “लाज़िम है के तो बहुत सी उम्मतों, क़ौमों, अहल-ए-ज़बानों और बादशाहों के बारे में फिर से नबुव्वत करे। करे।”


और साढ़े तीन दिनों तक हर उम्मत, हर क़बीले, हर अहल-ए-ज़बान और हर क़ौम के लोग उन की लाशों को देखते रहेंगे और उन की तद्फ़ीन न होने देंगे।


उसे ख़ुदा के मुक़द्दसीन से जंग करने और उन पर ग़ालिब आने की क़ुव्वत दी गई और उसे हर क़बीले, हर उम्मत, हर अहल-ए-ज़बान और हर क़ौम पर इख़्तियार दिया गया।


और तमाम अहल-ए-ज़मीन के सब बाशिन्दे उस हैवान की परस्तिश करेंगे, वो सब जिन के नाम उस बनाये आलम से ज़ब्ह किये हुए बर्रे की किताब-ए-हयात में दर्ज नहीं किये थे।


फिर मैंने एक और फ़रिश्ते को फ़िज़ा में उड़ते हुए देखा। इस के पास एक अब्दी ख़ुशख़बरी थी ताके वो उसे रोय ज़मीन के बाशिन्दों यानी हर क़ौम, हर क़बीले, हर अहल-ए-ज़बान और हर उम्मत को सुनाये।


और वो ख़ुदा के ख़ादिम मूसा का नग़मा और बर्रे का नग़मा गा रहे थे, आप के काम कितने अज़ीम और अजीब हैं, “ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, क़ादिर-ए-मुतलक़, तेरी राहें बरहक़ और रास्त हैं। ऐ अज़ली बादशाह,


फिर उस फ़रिश्ते ने मुझ से कहा, “जिन दर्याओं के किनारे पर तूने उस बड़ी कस्बी को बैठी देखा है वो उम्मतें, हुजूम, क़ौमें और अहल-ए-ज़बान हैं।


“ऐ हमारे ख़ुदावन्द और ख़ुदा आप ही जलाल, इज़्ज़त और क़ुदरत के लाइक़ हैं, क्यूंके आप ही ने सब चीज़ें पैदा कीं, और वह सब आप ही की मर्ज़ी से थीं और वुजूद में आईं।”


और उन्होंने बुलन्द आवाज़ से ये नग़मा गाया: “ज़ब्ह किया हुआ बर्रा ही, क़ुदरत, दौलत, हिक्मत, ताक़त इज़्ज़त, तम्जीद और हम्द के लाइक़ है!”


तब मैंने उस तख़्त-ए-इलाही और उन चारों जानदारों और उन बुज़ुर्गों के दरमियान गोया एक ज़ब्ह किया हुआ बर्रा खड़ा देखा। उस के सात सींग और सात आंखें थीं; ये ख़ुदा की सात रूहें यानी पाक रूह है जो तमाम रोय ज़मीन पर भेजी गई हैं।


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