मुकाशफ़ा 5:4 - उर्दू हमअस्र तरजुमा4 मैं ज़ार-ज़ार रोने लगा क्यूंके कोई भी इस लाइक़ न निकला, जो उस किताब को खोल सके या उस पर नज़र डाल सके। Faic an caibideilइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 20194 और में इस बात पर ज़ार ज़ार रोने लगा कि कोई उस किताब को खोलने और उस पर नज़र करने के लायक़ न निकला। Faic an caibideilकिताब-ए मुक़द्दस4 मैं ख़ूब रो पड़ा, क्योंकि कोई इस लायक़ न पाया गया कि वह तूमार को खोलकर उसमें नज़र डाल सकता। Faic an caibideil |