मुकाशफ़ा 4:8 - उर्दू हमअस्र तरजुमा8 इन चारों जानदारों के छः-छः पर थे और उन के सारे बदन में और पर के अन्दर और बाहर आंखें ही आंखें थीं। वो दिन रात लगातार बग़ैर आराम फ़रमाये ये कहते रहते हैं: “ ‘क़ुददूस, क़ुददूस, क़ुददूस ऐ क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदावन्द ख़ुदा,’ जो था, जो है और जो आने वाला है।” Faic an caibideilइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 20198 और इन चारों जानदारों के छ: छ: पर हैं; और रात दिन बग़ैर आराम लिए ये कहते रहते है, “क़ुद्दूस, क़ुद्दूस, क़ुद्दूस, ख़ुदावन्द ख़ुदा क़ादिर — ए — मुतल्लिक़, जो था और जो है और जो आनेवाला है!” Faic an caibideilकिताब-ए मुक़द्दस8 इन चार जानदारों में से हर एक के छः पर थे और जिस्म पर हर जगह आँखें ही आँखें थीं, बाहर भी और अंदर भी। दिन-रात वह बिलानाग़ा कहते रहते हैं, “क़ुद्दूस, क़ुद्दूस, क़ुद्दूस है रब क़ादिरे-मुतलक़ ख़ुदा, जो था, जो है और जो आनेवाला है।” Faic an caibideil |