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- Sanasan -




मुकाशफ़ा 21:5 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

5 तब उस ने जो तख़्त-नशीन था मुझ से फ़रमाया, “देख! मैं सब कुछ नया बना रहा हूं।” फिर ख़ुदा ने फ़रमाया, “लिख ले क्यूंके ये बातें हक़ और मोतबर हैं।”

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

5 और जो तख़्त पर बैठा हुआ था, उसने कहा, “देख, मैं सब चीज़ों को नया बना देता हूँ।” फिर उसने कहा, “लिख ले, क्यूँकि ये बातें सच और बरहक़ हैं।”

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किताब-ए मुक़द्दस

5 जो तख़्त पर बैठा था उसने कहा, “मैं सब कुछ नए सिरे से बना रहा हूँ।” उसने यह भी कहा, “यह लिख दे, क्योंकि यह अलफ़ाज़ क़ाबिले-एतमाद और सच्चे हैं।”

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मुकाशफ़ा 21:5
14 Iomraidhean Croise  

बल्के, नये अंगूरी शीरे को नई मश्कों में भरना चाहिये।


इसलिये अगर कोई अलमसीह में है तो वह नई मख़्लूक़ है। पुरानी चीज़ें जाती रहें। देखो! अब वह नई हो गईं!


और यह इबारत “एक बार फिर” साफ़ ज़ाहिर करती है के ख़ल्क़ की हुई सारी चीज़ें हिलाई और मिटा दी जायेंगी, ताके वोही चीज़ें क़ाइम रहें जो हिलाई नहीं जा सकती हैं।


जिस ने फ़रमाया, “जो कुछ तू देखता है उसे किताब में लिख कर सातों जमाअतों यानी इफ़िसुस, सुमरना, परिगमुन, थुआतीरा, सरदीस, फ़िलदिल्फ़िया और लौदीकिया शहरों के पास भेज दे।”


“इसलिये, जो कुछ तुम ने देखा है, उसे लिख ले यानी वो बातें जो अभी हैं और जो इन के बाद वाक़ई होने वाली हैं।”


फिर फ़रिश्ता ने मुझ से कहा, “लिख, मुबारक हैं वो जो बर्रे की शादी की ज़ियाफ़त में बुलाए गये हैं।” और उस ने मज़ीद कहा, “ये ख़ुदा की हक़ीक़ी बातें हैं।”


तब मैंने एक बड़ा सफ़ैद तख़्त-ए-इलाही देखा और उसे जो उस पर तख़्त-नशीन था। ज़मीन और आसमान उस की हुज़ूरी से भाग कर ग़ायब हो गये और उन्हें कहीं ठिकाना न मिला।


और अगर कोई इस नबुव्वत की किताब की बातों में से कुछ निकाल दे तो ख़ुदा इस किताब में मज़कूर शजरे हयात और शहर मुक़द्दस में रहने का हक़ उस से छीन लेगा जिस का बयान इस किताब में है।


उस फ़रिश्ते ने मुझ से कहा, “यह बातें हक़ और मोतबर हैं। और ख़ुदावन्द ख़ुदा जो नबियों की रूहों को उभारने वाला है, अपने फ़रिश्ता को इस ग़रज़ से भेजा के वो अपने बन्दों पर वो बातें ज़ाहिर करे जिन का जल्द पूरा होना ज़रूरी है।”


तब मैं फ़ौरन पाक रूह की गिरिफ़्त में आ गया और क्या देखता हूं के आसमान में एक तख़्त-ए-इलाही मौजूद है और उस पर कोई बैठा हुआ है।


और जब वो जानदार मख़्लूक़ उस की हम्द-ओ-सिताइश, ताज़ीम और शुक्र गुज़ारी करते हैं जो तख़्त-नशीन है और जो अब्दुल-आबाद ज़िन्दा रहेगा


फिर मैंने उस तख़्त-नशीन के दाहने हाथ में एक किताब देखी जो अन्दर और बाहर दोनों तरफ़ से लिख्खी हुई थी और उसे सात मुहरें लगा कर बन्द किया गया था।


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