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- Sanasan -




मुकाशफ़ा 16:5 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

5 तब मैंने सब पानियों पर इख़्तियार रखने वाले फ़रिश्ते को ये कहते सुना, “ऐ क़ुददूस ख़ुदा तो जो है और जो था, तू आदिल है के तूने ऐसा इन्साफ़ किया;

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

5 और मैंने पानी के फ़रिश्ते को ये कहते सुना, “ऐ क़ुद्दूस! जो है और जो था, तू 'आदिल है कि तू ने ये इन्साफ़ किया।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

5 फिर मैंने पानियों पर मुक़र्रर फ़रिश्ते को यह कहते सुना, “तू यह फ़ैसला करने में रास्त है, तू जो है और जो था, तू जो क़ुद्दूस है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




मुकाशफ़ा 16:5
18 Iomraidhean Croise  

“ऐ रास्तबाज़ बाप, अगरचे दुनिया ने आप को नहीं जाना, मगर में आप को जानता हूं, और इन्होंने ने भी जान लिया है के आप ने मुझे भेजा है।


लेकिन तुम्हारा दिल इतना सख़्त हो गया के तुम तौबा नहीं करते, लिहाज़ा तुम अपने हक़ में उस रोज़ क़हर के लिये ग़ज़ब कमा रहे हो, जब ख़ुदा का सच्चा इन्साफ़ ज़ाहिर होगा।


मैं बतौर इन्सान ये बात कहता हूं के अगर हमारी नारास्ती ख़ुदा की रास्तबाज़ी की सिफ़त को ज़्यादा सफ़ाई से ज़ाहिर करती है तो क्या हम ये कहीं के ख़ुदा बेइन्साफ़ है जो हम पर ग़ज़ब नाज़िल करता है? मैं इन्सानी दलील इस्तिमाल कर रहा हूं।


हज़रत यूहन्ना की जानिब से, उन सात जमाअतों के नाम जो सूबे आसिया में मौजूद हैं: तुम्हें फ़ज़ल और इत्मीनान हासिल होता रहे, और उस की तरफ़ से जो है, और जो था और जो आने वाला है, और उन सात रूहों यानी पाक रूह की तरफ़ से जो उस के तख़्त के सामने है,


ख़ुदावन्द ख़ुदा जो है और जो था और जो आने वाला है, यानी क़ादिर-ए-मुतलक़ फ़रमाता है, “मैं अल्फ़ा और ओमेगा यानी इब्तिदा और इन्तिहा हूं।”


“ऐ क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदावन्द ख़ुदा! हम तेरा शुक्र करते हैं, तू जो है और जो था, क्यूंके तूने अपनी अज़ीम क़ुदरत का इस्तिमाल कर के और बादशाही करना शुरू कर दी है।


फिर तीसरे फ़रिश्ता ने अपना प्याला दर्याओं और पानी के चश्मों पर उंडेल दिया और उन का पानी भी ख़ून बन गया।


फिर मैंने क़ुर्बानगाह में से ये आवाज़ सुनी “हां, ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, क़ादिर-ए-मुतलक़, बेशक आप के फ़ैसले बरहक़ और रास्त हैं।”


क्यूंके ख़ुदा के फ़ैसले बरहक़ और दुरुस्त हैं। इसलिये के ख़ुदा ने उस बड़ी कस्बी को मुजरिम ठहराया है जिस ने अपनी ज़िनाकारी से दुनिया को ख़राब कर दिया था। और ख़ुदा ने उस से अपने बन्दों के ख़ून का बदला ले लिया है।”


इन चारों जानदारों के छः-छः पर थे और उन के सारे बदन में और पर के अन्दर और बाहर आंखें ही आंखें थीं। वो दिन रात लगातार बग़ैर आराम फ़रमाये ये कहते रहते हैं: “ ‘क़ुददूस, क़ुददूस, क़ुददूस ऐ क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदावन्द ख़ुदा,’ जो था, जो है और जो आने वाला है।”


उन्होंने बुलन्द आवाज़ से चला कर कहा, “ऐ क़ुददूस और बरहक़ ख़ुदावन्द! तो कब तक इन्साफ़ न करेगा और ज़मीन के बाशिन्दों से हमारे ख़ून का बदला न लेगा?”


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