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- Sanasan -




मुकाशफ़ा 15:1 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

1 फिर मैंने आसमान में एक और बड़ा और हैरत-अंगेज़ निशान देखा के सात फ़रिश्ते सात आख़री आफ़तों को लिये हुए थे। ये आख़री आफ़तें हैं क्यूंके उन के साथ ख़ुदा का क़हर ख़त्म हो जाता है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

1 फिर मैंने आसमान पर एक और बड़ा और 'अजीब निशान, या'नी सात फ़रिश्ते सातों पिछली आफ़तों को लिए हुए देखे, क्यूँकि इन आफ़तों पर ख़ुदा का क़हर ख़त्म हो गया है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

1 फिर मैंने आसमान पर एक और इलाही निशान देखा, जो अज़ीम और हैरतअंगेज़ था। सात फ़रिश्ते सात आख़िरी बलाएँ अपने पास रखकर खड़े थे। इनसे अल्लाह का ग़ज़ब तकमील तक पहुँच गया।

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मुकाशफ़ा 15:1
21 Iomraidhean Croise  

वो शेर बब्बर की तरह ज़ोर से दहाड़ा और उस के दहाड़ने से गरज की सी सात आवाज़ें पैदा हुईं।


दूसरी आफ़त ख़त्म हुई। अब देखो तीसरी आफ़त जल्दी आने वाली है।


तो उसे भी ख़ुदा के क़हर की उस ख़ालिस मय को पीना होगा जो उस के ग़ज़ब के प्याला में भरी गई है। वो मुक़द्दस फ़रिश्तों और बर्रे के रूबरू उस आग और गन्धक के अज़ाब में मुब्तिला होकर तड़पता रहेगा


उस फ़रिश्ता ने अपनी दरांती ज़मीन पर चलाई और उस के अंगूरी बाग़ से अंगूर की फ़सल काट कर जमा की और उन्हें ख़ुदा के क़हर के बड़े हौज़ में डाल दिया।


फिर मैंने बैतुलमुक़द्दस में से किसी को बड़ी आवाज़ से उन सातों फ़रिश्तों से ये कहते सुना, “जाओ, और ख़ुदा के क़हर के सात प्यालों को ज़मीन पर उंडेल दो।”


जिन सात फ़रिश्तों के पास सात प्याले थे उन में से एक ने आकर मुझ से कहा, “इधर आ मैं तुझे उस बड़ी कस्बी यानी बड़े शहर की सज़ा दिखाऊं जो दरिया के किनारे पर बैठी हुई है।


और तमाम क़ौमों को हलाक करने के लिये उस के मुंह से एक तेज़ तलवार निकलती है। “वो लोहे के शाही असे से उन पर हुकूमत करेगा।” वो उन्हें क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदा के क़हर की मय के हौज़ में अंगूरों की तरह रौंद डालता है।


फिर उन सात फ़रिश्तों में से जिन के पास आख़री सात आफ़तों से भरे हुए प्याले थे, एक ने आकर मुझ से कहा के आ, “मैं तुझे दुल्हन यानी बर्रे की बीवी दिखाऊं।”


जब मैंने फिर निगाह की तो एक बड़ा सा उक़ाब आसमान के फ़िज़ा में उड़ता देखा और उसे बुलन्द आवाज़ से ये कहते सुना, “उन तीन फ़रिश्तों के नरसिंगे की आवाज़ के बाइस जिन का फूंकना अभी बाक़ी है, अहल-ए-ज़मीन पर अफ़सोस, अफ़सोस, अफ़सोस!”


और मैंने उन सातों फ़रिश्तों को देखा जो ख़ुदा के हुज़ूर खड़े रहते हैं। उन्हें सात नरसिंगे दिये गये।


उस के बाद वह सातों फ़रिश्ते जिन के पास सात नरसिंगे थे, सातों को फूंकने के लिये तय्यार हुए।


और बाक़ी आदमियों ने जो इन आफ़तों से न मरे थे, अपने हाथों के कामों से तौबा न की, उन्होंने उन शयातीन और बुतों की जो सोने, चांदी, पीतल, पत्थर और लकड़ी की बनी हुई थीं, उन की परस्तिश करने से बाज़ नहीं आये जो न तो देख सकती हैं न सुन सकती हैं और न चल फिर सकती हैं।


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