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- Sanasan -




मुकाशफ़ा 10:5 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

5 तब जिस फ़रिश्ता को मैंने समुन्दर और ज़मीन पर खड़े देखा था, उस ने अपना दायां हाथ आसमान की तरफ़ उठाया।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

5 और जिस फ़रिश्ते को मैंने समुन्दर और ख़ुश्की पर खड़े देखा था उसने अपना दहना हाथ आसमान की तरफ़ उठाया

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

5 फिर उस फ़रिश्ते ने जिसे मैंने समुंदर और ज़मीन पर खड़ा देखा अपने दहने हाथ को आसमान की तरफ़ उठाकर

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मुकाशफ़ा 10:5
29 Iomraidhean Croise  

“अज़ीज़ों, तुम ये क्या कर रहे हो? हम भी तुम्हारी ही तरह, फ़क़त इन्सान ही हैं। हम तुम्हारे वास्ते ख़ुशख़बरी लाये हैं, ताके तुम इन फ़ुज़ूल चीज़ों को छोड़कर ज़िन्दा ख़ुदा की तरफ़ रुजू करो जिस ने आसमानों और ज़मीन और समुन्दर को और जो कुछ उन में मौजूद हर चीज़ को पैदा किया है।


क्यूंके जब मैं तुम्हारे शहर में घूम फिर रहा था तो मेरी नज़र तुम्हारी इबादत की चीज़ों पर पड़ी, और मेरी नज़र क़ुर्बानगाह पर भी पड़ी। जिस पर ये लिखा हुआ है: एक नामालूम ख़ुदा के लिये। पस तुम जिसे बग़ैर जानते पूजते हो, मैं तुम्हें उसी की ख़बर देता हूं।


क्यूंके ख़ुदा की अज़ली क़ुदरत और उलूहीयत जो उस की इन देखी सिफ़ात हैं दुनिया की के वक़्त से उस की बनाई हुई चीज़ों से अच्छी तरह ज़ाहिर हैं। लिहाज़ा इन्सान के पास कोई उज़्र नहीं।


चुनांचे जब ख़ुदा ने हज़रत इब्राहीम से वादा करते वक़्त क़सम खाने के वास्ते किसी को अपने से बड़ा न पाया तो उस ने अपनी ही क़सम खाकर


मैं ज़िन्दा हूं; मैं मर गया था लेकिन देख मैं अबद तक ज़िन्दा रहूंगा। मौत और आलमे-अर्वाह की कुन्जियां मेरे पास हैं।


वो अपने हाथ में खुली हुई एक छोटी किताब थामे हुए था। उस ने अपना दायां पांव समुन्दर पर और बायां ज़मीन पर रख्खा।


उस ने बड़ी बुलन्द आवाज़ से कहा, “ख़ुदा से डरो और उस की तम्जीद करो क्यूंके उस की अदालत का वक़्त आ पहुंचा है। उसी को सज्दा करो जिस ने आसमान, ज़मीन, समुन्दर और पानी के चश्मे बनाये हैं।”


फिर सातवें फ़रिश्ते ने अपना प्याला हवा में उंडेला तो बैतुलमुक़द्दस के तख़्त-ए-इलाही की जानिब से एक बड़ी आवाज़ ये कहती हुई सुनाई दी, “पूरा हुआ!”


“ऐ हमारे ख़ुदावन्द और ख़ुदा आप ही जलाल, इज़्ज़त और क़ुदरत के लाइक़ हैं, क्यूंके आप ही ने सब चीज़ें पैदा कीं, और वह सब आप ही की मर्ज़ी से थीं और वुजूद में आईं।”


और जब वो जानदार मख़्लूक़ उस की हम्द-ओ-सिताइश, ताज़ीम और शुक्र गुज़ारी करते हैं जो तख़्त-नशीन है और जो अब्दुल-आबाद ज़िन्दा रहेगा


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